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किसान के बेटे का करिश्मा, खेत की मिट्टी से निकल बना IAS, जहां की तैयारी वहीं फ्री कोचिंग देते हैं फतेहपुर के आदित्य पटेल

UPSC Success Story: हौसले बुलंद हो तो फिर चाहें मंजिल कितनी भी दूर हो सफर तय हो ही जाता है. यूपी के फतेहपुर जिले के छोटे से गांव में पले-बढ़े आदित्य पटेल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है जो खेत की मिट्टी से निकलकर IAS बने और आज DRDO के डिपार्टमेंट में डिप्टी डायरेक्टर हैं. 

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किसान के बेटे का करिश्मा, खेत की मिट्टी से निकल बना IAS, जहां की तैयारी वहीं फ्री कोचिंग देते हैं फतेहपुर के आदित्य पटेल
Pradeep Kumar Raghav |Updated: Jun 19, 2025, 08:16 PM IST
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Fatehpur News: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर देश की सुरक्षा व्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले आदित्य पटेल की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं, आदित्य आज डीआरडीओ के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (AR\&DB) में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।

गरीबी में बीता बचपन
आदित्य का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ. उनके पिता धान और गेहूं की खेती करते थे और सीमित संसाधनों में भी अपने तीनों बेटों की पढ़ाई को प्राथमिकता दी. गांव के ही स्कूल से शुरुआती शिक्षा लेने वाले आदित्य ने अपने जीवन में गरीबी को बहुत करीब से देखा. उनके दो बड़े भाई हैं – एक खेती करता है और दूसरा भारतीय स्टेट बैंक में सीनियर मैनेजर है.

पिता के सपने ने बदली दिशा
ग्रेजुएशन के बाद आदित्य शिक्षक बन गए थे, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि बेटा कलेक्टर बने. उन्हें UPSC परीक्षा की ज्यादा जानकारी नहीं थी, तब उन्होंने अपने बड़े भाई से सलाह ली और दिल्ली के मुखर्जी नगर आकर तैयारी शुरू की. कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास के बल पर 2017 में उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की और 919वीं रैंक हासिल की.

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देश की सेवा और समाज के लिए योगदान
UPSC पास करने के बाद आदित्य भारतीय वायुसेना से भी जुड़े और वर्तमान में डीआरडीओ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. साथ ही, वे उन गरीब छात्रों के लिए भी प्रेरणा बन चुके हैं, जो संसाधनों की कमी के बावजूद बड़ा सपना देखते हैं. आदित्य आज उसी कोचिंग सेंटर में मुफ्त पढ़ाते हैं, जहां उन्होंने कभी खुद पढ़ाई की थी. वे छात्रों को न केवल पढ़ाई में बल्कि मानसिक रूप से भी सशक्त बनाते हैं.

आदित्य पटेल की यह कहानी बताती है कि हौसले बुलंद हों तो मंजिल दूर नहीं होती, फिर चाहें शुरुआत खेत से ही क्यों न हुई हो.

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