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Trending Ram Bhajan: श्रीराम के ये टॉप ट्रेंडिंग भजन, इंस्टाग्राम-फेसबुक पर बनाएं रील मंत्रमुग्ध हो जाएंगे लोग

Trending Ram Bhajan: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है. लोग शाम को दीवाली मनाने की तैयारी कर रहे हैं. इस खास मौके पर आज हम आपको कुछ प्रसिद्ध राम भजन बताने जा रहे हैं, जिससे माहौल राममय हो जाएगा. 

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Trending Ram Bhajan
Trending Ram Bhajan
Pranjali Mishra|Updated: Jan 22, 2024, 03:33 PM IST
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Famous Ram Bhajan: अयोध्या में रामलला के आगमन का इंतजार खत्म हो गया है. रामलला की अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए गर्भ गृह में प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठे थे. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की शुरुआत मंगल ध्वनि के बीच हुई. प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर लोग रामलला के लिए भजन गा और सुन रहे हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे प्रसिद्ध भजन बताने जा रहे हैं, जो अखंड रामायण, सुंदरकांड पाठ, रामायण पाठ, विजयादशमी, राम नवमी, सीता विवाह, सीता नवमी, भजन संध्या, सत्संग, एकादशी व्रत, श्री हरी भजन, भारत मिलाप एवं राम लीला के उपलक्ष्य में गाये तथा सुने जाते हैं. 

प्रमुख राम भजन 

1. नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥ 

हो त्याग भारत जैसा,
सीता सी नारी हो ।
और लवकुश के जैसी
संतान हमारी हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥

श्रद्धा हो श्रवण जैसी,
शबरी सी भक्ति हो ।
और हनुमत के जैसी
निष्ठा और शक्ति हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥

मेरी जीवन नैया हो,
प्रभु राम खेवैया हो ।
और राम कृपा की सदा
मेरे सर छय्या हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥

सरयू का किनारा हो,
निर्मल जल धारा हो ।
और दरश मुझे भगवन
हर घडी तुम्हारा हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।

कौशल्या सी माई हो,
लक्ष्मण सा भाई ।
और स्वामी तुम्हारे जैसा,
मेरा रघुराई हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।

श्रद्धा हो श्रवण जैसी,
शबरी सी भक्ति हो ।
हनुमान के जैसे निष्ठा,
और शक्ती हो ॥

और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥ 

2. राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी।
राम देखे सिया को सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी॥

यज्ञ रक्षा में जा कर के मुनिवर के संग,
ले धनुष दानवो को लगे काटने।
एक ही बाण में ताड़का राक्षसी,
गिर जमी पर पड़ी की पड़ी रह गयी॥

राम को मन के मंदिर में अस्थान दे
कर लगी सोचने मन में यह जानकी।
तोड़ पाएंगे कैसे यह धनुष कुंवर,
मन में चिंता बड़ी की बड़ी रह गयी॥

विश्व के सारे राजा जनकपुर में जब,
शिव धनुष तोड़ पाने में असफल हुए।
तब श्री राम ने तोडा को दंड को,
सब की आँखे बड़ी की बड़ी रह गयी॥

तीन दिन तक तपस्या की रघुवीर ने,
सिंधु जाने का रास्ता न उनको दिया।
ले धनुष राम जी ने की जब गर्जना,
उसकी लहरे रुकी की रह गयी॥

3. कौशल्या, दशरथ के नंदन
राम ललाट पे शोभित चन्दन
रघुपति की जय बोले लक्ष्मण
राम सिया का हो अभिनन्दन
अंजनी पुत्र पड़े हैं चरण में
राम सिया जपते तन मन में 

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी

राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम

मेरे तन मन धड़कन में
सिया राम राम है
मन मंदिर के दर्पण में
सिया राम राम है
तू ही सिया का राम
राधा का तू ही श्याम
जन्मो जनम का ही ये साथ है
मीरा का तू भजन
भजते हरी पवन
तुलसी में भी लिखी ये बात है

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी

राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम

मंगल भवन अमंगल हारी
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी

राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम, सिया राम
जय जय राम

4. आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरि नारायण
अच्युत केशव हरि नारायण

भवभय हरणा वंदित चरणा
भवभय हरणा वंदित चरणा
रघुकुलभूषण राजीवलोचन
रघुकुलभूषण राजीवलोचन

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरि नारायण
अच्युत केशव हरि नारायण

आदिनारायण अनन्तशयना
आदिनारायण अनन्तशयना
सच्चिदानन्द श्रीसत्यनारायण
सच्चिदानन्द श्रीसत्यनारायण

आत्मा रामा आनंद रमना
आत्मा रामा आनंद रमना
अच्युत केशव हरि नारायण
अच्युत केशव हरि नारायण 

5. ना चलाओ बाण,
व्यंग के ऐ विभिषण,
ताना ना सह पाऊं,
क्यूँ तोड़ी है ये माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊं,
मुझमें भी है तुझमें भी है,
सब में है समझाऊँ,
ऐ लंकापति विभीषण, ले देख,
मैं तुझको आज दिखाऊं।।

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में।।

मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।।

अनमोल कोई भी चीज,
मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमे छवि,
सिया राम की नहीं ॥

राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरण करूँ,
सिया राम का सदा ही मै चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥

फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना, सागर को मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥

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