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Mahashivrati 2024: महाशिवरात्रि पर करें इस मंत्र का जप, अकालमृत्यु का डर होगा खत्म

Mahashivrati​: सनातन धर्म में शिवरात्रि को सबसे पवित्र माना गया है. जो भी भक्त इस दिन भोलेनाथ को खुश कर लेता है उसे कभी कोई परेशानी नहीं होती है. यहां आपको अकालमृत्यु से बचने वाले मंत्र के बारे में बताया जा रहा है. जानें कैसे भगवान भोलेनाथ को खुश करें?...   

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Mahakaal Shivratri 2024
Mahakaal Shivratri 2024
Sandeep Bhardwaj|Updated: Mar 07, 2024, 04:48 PM IST
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Mahamrityunjaya Mantra On Mahashivratri And Know Its Benefits:​ इस मंत्र का जाप करने वाला इंसान कभी भी अकाल मृत्यु नहीं मरता, इस मंत्र का अर्थ है  हम तीन आंखों वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं,  जो सुगंधित हैं और हमारा पालन पोषण करते हैं. जैसे कोई फल अपनी शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही शिव की पूजा करने से हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं.

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् 
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि कोई संतान न होने के कारण बहुत दुखी थे. संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए दिन रात तपस्या की. भोलेनाथ मृकण्ड के तप का कारण जानते थे इसलिए उन्होंने जल्दी दर्शन न दिया क्योंकि विधाता ने मृकण्ड ऋषि के भाग्य में संतान का योग नहीं लिखा था. अंत में भोलेनाथ भक्त की भक्ति से खुश हो गए. भोलेनाथ ने  ऋषि से कहा कि मैं विधान को बदलकर तुम्हें पुत्र का वरदान दे रहा हूं लेकिन इस सुख में एक दुःख भी है. तुम्हारा यह पुत्र अल्पायु होगा.  इसकी उम्र केवल 12 वर्ष होगी.

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ऋषि ने अपने इस पुत्र का नाम मार्कण्डेय रखा. मार्कण्डेय बड़े होने लगे तो पिता ने उन्हें शिवमंत्र की दीक्षा दी. ऋषि की पत्नी बालक के उम्र बढ़ने से चिंतित रहती थी. एक दिन माता पिता ने मार्कण्डेय को अल्पायु होने की बात बता दी. मार्कण्डेय ने निश्चय किया कि वह भगवान से दीर्घायु होने का वरदान लेंगे.

ऋषि पुत्र मार्कण्डेय ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और इसका अखंड जाप करने लगे. 12  वर्ष का समय पूरा होने पर यमदूत मार्कण्डेय के प्राण लेने आये. यमदूतों ने देखा कि बालक मंत्र जपने में लीन हैं तो उन्होंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की. किन्तु मार्केण्डेय ने अखंड जप का संकल्प ले लिया था. इस मंत्र के कारण यमदूत लौट गए और यमराज को सब बात बता दी. अब स्वयं यमराज मार्कण्डेय के पास पहुंच गए.  यमराज को देखकर मार्कण्डेय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग से लिपट गए..

शिवलिंग से स्वयं महाकाल प्रकट हो गए. उन्होंने  यमराज को सावधान किया कि यमराज कभी भी महामृत्यंजय मंत्र का पाठ करने वालों के असमय प्राण ना ले. शिवजी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु होने का वरदान दिया.  कलयुग में भी जो भक्त इस मंत्र का जाप करते हैं वह कभी भी अल्पायु नहीं मरते.   

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