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भगवान शिव का वो मंदिर जिसकी सतयुग में हुई थी स्थापना...सुबह सबसे पहले कौन कर जाता है पूजा, रहस्य अब तक बरकरार

Baneshwar Shiv Mandir: आज से सावन मास  की शुरुआत हो गई है. हम बात कर रहे हैं कानपुर देहात के एक ऐसे मंदिर की जो काफी पौराणिक है. ये मंदिर रहस्यों से भरा है. मान्यता अनुसार हजारों साल से मंदिर में सुबह-सुबह शिवलिंग पूजा हुआ मिलता है. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में....

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mystery Temple kanpur
mystery Temple kanpur
Updated: Jul 11, 2025, 08:17 AM IST
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आलोक त्रिपाठी/कानपुर देहात: आज से श्रावण माह की शुरुआत हो गई है. आज देश के हर कोने में भगवान सदा शिव की गूंज सुनाई दे रही है. कानपुर शहर से दूर बनीपारा गांव में बाणेश्वर शिव मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि सतयुग में राजा बाणेश्वर की बेटी यहां सबसे पहले पूजा करती थी और तब से अब तक इस शिवलिंग पर सबसे पहले सुबह यहां कौन पूजा करता है इसका रहस्य आज तक बना हुआ है. आस-पास के लोगों का कहना है कि हजारों साल से मंदिर में सुबह-सुबह शिवलिंग पूजा किया हुआ मिलता है. यहां के लोगों की आस्था है कि सावन के सोमवार उपवास रखने के बाद यहां जल चढ़ाने मात्र से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है.

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मंदिर खुलने से पहले हो जाती है पूजा, रहस्य बरकरार
ये मंदिर ज़िला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बनीपारा में स्थित है. बताया जाता है कि सुबह मंदिर खुलने से पहले ही मंदिर में पूजा हो जाती है. मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में असुरराज बाढ़ाश्वर और उसकी पुत्री ऊषा रात करीब 12 बजे ही मंदिर में आकर पूजा कर जाती हैं. इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि सतयुग में राजा बाणास्वर की बेटी यहां सबसे पहले पूजा करती थीं और तब से अब तक इस शिवलिंग पर सबसे पहले सुबह यहां कौन पूजा करता है इसका रहस्य आज तक बरकरार है. आस-पास के लोगों का कहना है कि हजारों साल से मंदिर में सुबह-सुबह शिवलिंग पूजा हुआ मिलता है. यहां के लोगों की आस्था है कि सावन माह में उपवास रखने के बाद यहां जल चढ़ाने मात्र से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है.

यहां सावन और शिवरात्रि में मेला लगता है. स्थानीय लोगों ने बताया कि सावन माह में मेले के इंतजाम के लिए अस्थाई चौकी बनाई जाती है. बीते 15 साल पहले यहां पर मेला चौकी के प्रभारी एक मुस्लिम थे वह इस बात को मानने को तैयार नहीं थे कि यहां पर मंदिर के पट खुलने से पहले ही शिवलिंग की पूजा हो चुकी होती हैं. इसलिए उन्होंने शाम को खुद मंदिर की साफ सफाई करवाकर पट बंद किया और खुद अपने सिपाहियों से सुबह जब मंदिर के पट खुलवाए तो मंदिर पहले से ही पूजा किया हुआ मिला. इसके बाद उस मुस्लिम दरोगा की आस्था भी इस मंदिर से जुड़ गई और उन्होंने जल चढ़ाकर भगवान शिव का आशीर्वाद लिया था.

और भी जुड़ी हैं मान्यताएं
कुछ ऐसी ही मान्यता कावड़ियों के साथ है. कहा जाता है कि कावड़ियों की पूजा इस मंदिर में गंगा जल को चढ़ाएं बिना पूरी नहीं होती है. मुगल शासकों ने इसे नष्ट करने की कोशिश की पर सफल नहीं हो सके.मंदिर के संबंध में कथा है कि सतयुग में राजा बाणेश्वर थे वो सतयुग से द्वापरयुग तक राजा रहे है. बाणेश्वर ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी. भगवान शिव ने बाणेश्वर को दर्शन दिए और इच्छा वरदान के लिए कहा तो बाणेश्वर ने भगवान शिव को मांगा.

डिस्क्लेमर
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

 

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