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यूपी के इस शहर में माता शैलपुत्री की सबसे प्राचीन मंदिर, नवरात्रि पर भक्‍तों को देती हैं साक्षात दर्शन

Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की आज से शुरुआत हो गई है. पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. देश में माता शैलपुत्री का सबसे प्राचीन मंदिर यूपी में स्‍थापित है. कहा जाता है कि माता शैलपुत्री खुद यहां विराजमान हुई थीं. 

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Maa Shailputri oldest temple
Maa Shailputri oldest temple
Amitesh Pandey |Updated: Oct 03, 2024, 07:10 AM IST
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Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि 2024 का आज पहला दिन है. पूरे नवरात्रि माता रानी के 9 स्‍वरूपों की विशेष पूजा की जाती है. पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. भगवान शिव की नगरी काशी में माता शैलपुत्री की प्राचीन मंदिर है. मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन खुद भक्‍तों को दर्शन देती हैं. काशी के शैलपुत्री माता मंदिर में सुबह से ही भक्‍तों की भीड़ जमा हो गई है. 

शिव की नगरी में प्राचीन मंदिर 
माता शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर वाराणसी सिटी स्‍टेशन से कुछ ही दूरी पर है. उत्‍तर प्रदेश के सबसे प्राचीन मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोगों को पता ही नहीं है कि माता शैलपुत्री के इस मंदिर की स्‍थापना कब और किसने की थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंदिर कितना प्राचीन है. 

खुद काशी पहुंची थीं माता शैलपुत्री 
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि राजा शैलराज के यहां माता शैलपुत्री का जन्‍म हुआ था, जन्‍म के समय नारद जी वहां पहुंच गए थे. नारद जी ने राजा शैलराज से कहा था कि उनकी पुत्री बहुत गुणवान है. भगवान भोलेनाथ के प्रति आस्था रखने वाली होगी. इसके बाद जब माता शैलपुत्री बड़ी हुईं तो वह भ्रमण पर निकल गईं. मन में शिव के प्रति आस्था थी, इसलिए वह उनकी नगरी काशी पहुंचीं. 

माता शैलपुत्री खुद विराजमान हुईं 
मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री वाराणसी में करुणा नदी के किनारे तप किया. पिता शैलपुत्री की खोज करते-करते करुणा नदी के किनारे पहुंचे वहां बेटी को तप करता देख वह भी आसन लगाकर तप करने लगे. बाद में माता शैलपुत्री और पिता शैलराज के मंदिर का निर्माण हुआ. मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री ने खुद यहां विराजमान हुई थीं. मंदिर में भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग भी स्‍थापित है. 

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