Weekly Vrat Festivals List: दिवाली के बाद अब इस सप्ताह की शुरुआत 4 दिवसीय छठ महापर्व से हो रही है. इसके अलावा इसी सप्ताह गोपाष्टमी, दुर्गा अष्टमी, अक्षय नवमी और आंवला नवमी जैसे व्रत त्योहार भी हैं. जिनका हिंदू धर्म में बहुत महत्व बताया गया है. तो आइये विस्तार से जानते हैं 4 नवंबर से शुरू हो रहे सप्ताह में छठ पूजा के अलावा कौन-कौन से प्रमुख व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं और उनका महत्व और पूजा मुहूर्त क्या है.
4 से 10 नवंबर तक व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट
(Vrat-Festival List from 4 to 10 November 2024)
05 नवंबर 2024 - नहाय-खाय (छठ पूजा का आरंभ)
छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है. इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल का भोग बनता है. इस दिन से चार दिनों तक व्रत की शुरुआत होती है, जो कठिन तपस्या और सूर्य देव की उपासना के लिए समर्पित है. शुभ मुहूर्त के अनुसार सूर्योदय के बाद दिनभर पूजा की जा सकती है.
06 नवंबर 2024 - लाभ पंचमी और खरना
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है, जिसमें व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ और चावल की खीर का भोग बनाकर ग्रहण करते हैं. इसके बाद ही व्रत शुरू होता है और अगले दो दिन तक निर्जल व्रत रखते हैं. लाभ पंचमी के दिन विशेष लक्ष्मी पूजन का भी महत्व है, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. शाम का समय खरना के लिए शुभ माना गया है.
07 नवंबर 2024 - डूबते सूर्य को अर्घ्य (छठ पूजा का तीसरा दिन)
छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस दिन संध्या समय व्रतियों द्वारा नदी या तालाब के किनारे सूर्य देव को दूध और जल का अर्घ्य दिया जाता है, और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. यह दिन विशेष रूप से संतान प्राप्ति और परिवार की खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. संध्या काल सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त है.
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09 नवंबर 2024 - गोपाष्टमी और दुर्गाष्टमी पर्व
गोपाष्टमी पर गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है, जो भगवान कृष्ण द्वारा गौचारण के दिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गायों को स्नान कराकर उन्हें पुष्पमालाओं से सजाया जाता है और विशेष रूप से भोजन करवाया जाता है. इसी दिन दुर्गाष्टमी भी होती है, जिसमें मां दुर्गा की आराधना कर परिवार की रक्षा और समृद्धि की कामना की जाती है. सुबह के समय गौपूजन और दुर्गा पूजन का शुभ मुहूर्त होता है.
10 नवंबर 2024 - अक्षय नवमी
अक्षय नवमी पर विशेष रूप से आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. इसे "आंवला नवमी" भी कहते हैं और इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह दिन अक्षय फल की प्राप्ति और पुण्य का प्रतीक माना जाता है. पूजा के लिए सुबह का समय शुभ होता है, जब भक्त आंवले के पेड़ की पूजा करके भोजन ग्रहण करते हैं.
Disclaimer: दी गई जानकारी पंचांग और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता.
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