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मुज़फ्फरनगर में सियासी तूफान, कैबिनेट मंत्री के SDM निकिता शर्मा पर गंभीर आरोप, सामने आया चौंकाने वाला जवाब

Muzaffarnagar News: मुज़फ्फरनगर में प्रशासनिक महकमे को लेकर एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है. प्रदेश सरकार के कैबिनेट ने मुज़फ्फरनगर सदर की उप जिलाधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. आइए जानते हैं इसको लेकर एसडीएम ने क्या कहा?

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SDM Nikita Sharma
SDM Nikita Sharma
Zee Media Bureau|Updated: Jun 27, 2025, 08:42 PM IST
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Muzaffarnagar News/अंकित मित्तल: उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर  में प्रशासन और सियासत के बीच टकराव और तेज़ होता जा रहा है. प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री और पुरकाजी सीट से रालोद विधायक अनिल कुमार ने सदर की एसडीएम निकिता शर्मा पर भ्रष्टाचार और भूमाफियाओं से मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं. मंत्री ने इस बाबत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखते हुए निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

मंत्री अनिल कुमार का आरोप है कि एसडीएम का रवैया जनप्रतिनिधियों और आम जनता के प्रति बेहद अमर्यादित है. उन्होंने कहा कि एसडीएम भूमाफियाओं के साथ साठगांठ कर जमीन की अवैध प्लॉटिंग करवा रही हैं, जिससे सरकारी नीतियों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

शासन ने शुरू की जांच, डीएम को भेजा पत्र
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन के उप सचिव ने जिलाधिकारी  को पत्र भेजकर मामले की तह तक जाने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं. जिले स्तर पर जांच प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है.

एसडीएम बोलीं- मुझे शिकायत की जानकारी नहीं
एसडीएम निकिता शर्मा ने इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें मंत्री द्वारा किसी शिकायत या पत्र की जानकारी नहीं है. उन्होंने खुद पर लगाए गए आरोपों से इनकार किया है.

पहले भी उठ चुके हैं सवाल
गौरतलब है कि कुछ समय पहले सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने भी एसडीएम पर कॉल रिसीव न करने का आरोप लगाते हुए डीएम को पत्र लिखा था. सांसद ने कहा था कि जनसमस्याओं को लेकर बात करनी होती है, लेकिन एसडीएम का रवैया सहयोगात्मक नहीं है.

पुलिस के बाद अब प्रशासन पर भी सवाल
इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने जिले की पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाए थे. अब प्रशासनिक अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगने से जिले में प्रशासनिक हलचल बढ़ गई है.

अब सबकी निगाहें शासन पर
अब देखना यह होगा कि सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति के तहत इस पूरे मामले में क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या प्रशासनिक स्तर पर कोई बड़ा फेरबदल होता है. जिले में लगातार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच बढ़ता तनाव प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.

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