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इतिहास 200 साल पुराना...अब 30 साल बाद खुला प्राचीन शिव मंदिर का ताला, दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़

Saharanpur in Shiv Mandir : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक ऐसा मंदिर सामने आया है, जो करीब तीन दशक से बंद पड़ा था. इस मंदिर का इतिहास अंग्रेजों के समय से जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं कि यह मंदिर कैसे कूड़े-कचरे के ढेर में तब्दील हो गया.

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Saharanpur Deoband ancient Shiva mandir
Saharanpur Deoband ancient Shiva mandir
Zee Media Bureau|Updated: Mar 09, 2025, 11:48 AM IST
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Saharanpur Hindi News/नीना जैन: समय की धुंध में गुम हो चुका एक ऐतिहासिक शिव मंदिर अब एक बार फिर अपनी पुरानी आभा लौटाने जा रहा है. लगभग 200 साल पुराने इस मंदिर में पिछले 30 वर्षों से पूजा-अर्चना बंद थी, लेकिन अब यशवीर महाराज के प्रयासों से यह मंदिर पुनः जागृत किया जा रहा है.

तीन दशक से बंद पड़ा था मंदिर
देवबंद क्षेत्र के बैरुल कोटला मोहल्ले में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर कभी श्रद्धालुओं से गुलजार रहता था. पहले यहां सैनी समाज के 400 से अधिक परिवार रहते थे, जो 1992 के बाद धीरे-धीरे अन्य बस्तियों में पलायन कर गए. परिवारों के जाने के साथ मंदिर सूना हो गया, यहां पूजा-अर्चना बंद हो गई और धीरे-धीरे मंदिर कूड़े-कचरे के ढेर में तब्दील हो गया.

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर कभी श्रद्धा और भक्ति का केंद्र था. शिवलिंग पर जलाभिषेक, घंटियों की गूंज और भजन-कीर्तन से मंदिर परिसर गूंजता था. लेकिन जब लोग यहां से चले गए, तो मंदिर के भगवान भी अपने भक्तों के साथ अन्यत्र चले गए.

फिर से लौटेगी आस्था की रौशनी
मंदिर की 30 वर्षों की वीरानी अब समाप्त होने जा रही है. यशवीर महाराज ने मंदिर की सफाई कराई और उसे पुनः जागृत करने का संकल्प लिया. इस पुनीत कार्य में स्थानीय लोगों का पूरा सहयोग मिला.

एक स्थानीय बुजुर्ग ने बताया कि हम बचपन में यहां रोज़ शिव अभिषेक करने आते थे, लेकिन जब लोग यहां से पलायन कर गए, तो मंदिर वीरान हो गया. हमें हमेशा इसका दुख रहता था. लेकिन आज का दिन हमारे लिए बहुत खुशी का है.

एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि इस मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और गणपति जी की मूर्तियां थीं, लेकिन जब समाज के लोग यहां से गए तो उन्हें भी साथ ले जाना पड़ा. अब मंदिर फिर से खुल रहा है, तो यह हमारे लिए बहुत गर्व और आनंद का क्षण है.

पूरे इलाके में खुशी की लहर
इस ऐतिहासिक अवसर को लेकर स्थानीय लोगों में जबर्दस्त उत्साह है. घर-घर पकवान बनाए जा रहे हैं, और लोग इस पावन घड़ी के साक्षी बनने के लिए उमड़ पड़े हैं.

एक श्रद्धालु ने हंसते हुए कहा कि अब रोज़ मंदिर में पूजा करेंगे और खुशी में एक रोटी ज्यादा खाएंगे. यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और समाज की जड़ों से जुड़ने का प्रतीक भी है. वर्षों बाद इस मंदिर की घंटियों की आवाज़ फिर से गूंजेगी, और श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव के दर्शन कर सकेंगे.

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