Saharanpur Hindi News/नीना जैन: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. नवीं मुहर्रम के जुलूस के बाद शिया समुदाय के सैकड़ों लोग जब घर लौटे, तो घरों और इमामबाड़ों में मजलिसों का आयोजन हुआ. लेकिन खुशियों और अकीदत से भरा यह माहौल एक खौफनाक हादसे में तब्दील हो गया, जब कई लोगों को अचानक पेट दर्द और उल्टी की शिकायत होने लगी. रात होते-होते यह मंजर चीख-पुकार और अफरा-तफरी में बदल गया.
कहां का है मामला?
सहारनपुर जिले के नानौता कस्बे में की घटना है. जहां पर शिया समुदाय के घरों और इमामबाड़ों में मजलिसों के बाद तबर्रुक (प्रसाद) और खाने का इंतज़ाम किया गया था. लेकिन इसी बीच देर रात अफरातफरी मच गई जब लोगों को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत होने लगी. धीरे-धीरे बीमार पड़ने वालों की संख्या बढ़ती गई, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे. नगर के मोहल्ला शेखजादगान निवासी 55 वर्षीय शबी हैदर की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सीएचसी से जिला अस्पताल और फिर चंडीगढ़ रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. उनकी मौत की खबर मिलते ही नगर में मातम पसर गया.
रात करीब 1 बजे तक 150 से ज्यादा लोग फूड प्वाइजनिंग की चपेट में आ चुके थे. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) से लेकर निजी अस्पतालों तक एंबुलेंस की आवाजाही बढ़ गई. घबराए परिजन इलाज के लिए दौड़ते रहे. कुछ की हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें सहारनपुर और अन्य शहरों के बड़े अस्पतालों में भेजा गया.
CHC प्रभारी डॉ. प्रमोद कुमार के अनुसार
फूड प्वाइजनिंग का कारण दो दिन पुराना दूध, उसमें डाली गई बर्फ और भारी खाना हो सकता है. गर्मी के मौसम में बासी खाना ज़हर बन सकता है. इस घटना ने पूरे कस्बे को हिला कर रख दिया है. मातमी मजलिस जहां शांति और श्रद्धा का प्रतीक होती है, वहीं इस बार यह दर्द और मातम का मंजर बन गई.