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Banke Bihari Ordinance: 'भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे', SC ने दिए बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के संकेत

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में आज वृंदावन बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन से जुड़े विवाद और कॉरिडोर पर सुनवाई हुई. जिरह के दौरान कोर्ट ने कहा कि मंदिर निजी हो सकता है, लेकिन देवता तो सबके हैं... कोर्ट में और क्या तर्क रखे गए, जानने के लिए पढ़ें ये पूरी खबर.

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supreme court question to up government on banke bihari ordinance
supreme court question to up government on banke bihari ordinance
Arvind Singh|Updated: Aug 04, 2025, 07:58 PM IST
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Banke Bihari Temple: वृंदावन बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और कॉरिडोर बनाने को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ी याचिकाएं आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लगीं. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि भगवान कृष्ण पहले मध्यस्थ थे और यूपी सरकार को भी आपसी बातचीत के ज़रिए इस मसले का हल निकालना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्ताव दिया है कि मंदिर का प्रबंधन हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली कमेटी को दिया जा सकता है. कलेक्टर और दूसरी ऑथोरिटी इस कमेटी के सदस्य होंगे. जब तक मंदिर के प्रबंधन को लेकर यूपी सरकार के अध्यादेश की वैधता पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सुनवाई कर फैसला देता है तब तक यह व्यस्था बनी रहेगी. इस दरम्यान मंदिर में पूजा सेवादारों की ओर से होती रहेगी. कोर्ट ने यूपी सरकार की ओर से पेश एडीशनल सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज को कहा है कि वो कल तक निर्देश लेकर बताए कि सुप्रीम कोर्ट के इस प्रस्ताव पर राज्य सरकार का क्या रुख है? 

यूपी सरकार के रवैए पर सवाल

आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर  यूपी सरकार की ओर से अध्यादेश लाने पर सवाल उठाया. कोर्ट ने पूछा है कि सरकार को अध्यादेश लाने की आखिर इतनी जल्दी क्या है? कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि वो कॉरिडोर निर्माण के लिए यूपी सरकार को मंदिर के फंड का इस्तेमाल करने की इजाज़त देने वाले अपने पहले आदेश को वापस लेगा. कोर्ट ने कहा है कि यूपी सरकार ने 'गुप्त तरीके' से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर फंड के इस्तेमाल की इजाजत हासिल कर ली. याचिका की जानकारी दूसरे पक्ष को नहीं दी गई और कोर्ट की ओर से भी सेवायतों का पक्ष सुने बिना आदेश पास कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर राज्य सरकार मंदिर के पास विकास करना चाहती थी तो मंदिर के पास रह रहे लोगों को मुआवजा देकर उनसे ज़मीन क्यों नहीं ली? कोर्ट ने स्वर्ण मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि जो वहां हुआ है, इस केस में क्यों नहीं हुआ? 

मंदिर मैनेजमैंट कमेटी से भी सवाल

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर मैनेजमेंट कमेटी से भी सवाल किए. मंदिर मैनेजमेंट कमेटी के वकील की दलील थी कि बांके बिहारी मन्दिर निजी मन्दिर है. राज्य सरकार बिना वजह इसमें दखल दे रही है.  इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर निजी हो सकता है, लेकिन देवता तो सबके हैं. मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में मंदिर का फंड श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा से जुड़े विकास में क्यों नहीं इस्तेमाल हो सकता? आप क्यों चाहते हैं कि सारा फंड आपके जेब में ही जाए?

बहरहाल सुप्रीम कोर्ट कल इस मसले पर फिर से सुनवाई करेगा. कल यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया जाएगा कि मन्दिर का प्रबंधन कमेटी को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव पर उसका क्या रुख है.

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