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Sawan 2024: सावन में करें परशुरामेश्वर मंदिर का दर्शन, जहां मां की हत्या के बाद परशुराम ने की थी घोर तपस्या

Baghpat Shiv Mandir: अगर आप पश्चिमी यूपी में रहते हैं और सावन में किसी तीर्थ स्थल पर जाना चाहते हैं तो बागपत आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है. यहां का पुरा महादेव मंदिर प्राचीन होने के साथ एक ऐतिहासिक धरोहर भी है.

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Pura Mahadev Temple Baghpat
Pura Mahadev Temple Baghpat
Pooja Singh|Updated: Jul 22, 2024, 11:13 AM IST
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Baghpat Shiv Mandir: हर साल सावन महीने में शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ता है. देशभर में कई प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिर हैं, जो अपनी अनोखी कहानी के लिए जाने जाते हैं. ऐसा ही एक मंदिर पश्चिमी यूपी के बागपत में भी है. इस मंदिर को पुरा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर महादेव के प्राचीन मंदिरों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि यहां भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं. वैसे तो हर सोमवार को यहां जलाभिषेक के लिए शिव भक्त पहुंचते हैं लेकिन सावन में यहां का नजारा ही कुछ और होता है. आइए जानते हैं इस मंदिर की पौराणिक कहानी.

क्या है मंदिर की पौराणिक कहानी?
बागपत रेलवे स्टेशन से करीब 23 किलोमीटर दूर बालौनी कस्बे के पुरा गांव में महादेव का यह मंदिर है. ये बहुत ही प्राचीन मंदिर है जिसे सिद्धपीठ भी माना जाता है. इसे परशुरामेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह ऐतिहासिक के साथ पौराणिक स्थल भी है. मान्यता है कि अपने पिता के कहने पर परशुराम ने एक ही झटके में अपनी मां का सिर धड़ से अलग कर दिया था. जिसके बाद उन्हें मां की हत्या की ग्लानि अंदर से खाए जा रही थी. इस पर भगवान परशुराम ने आत्मशांति के लिए कजरी वन के करीब शिवलिंग की स्थापना कर महादेव की अराधना की. उनकी तपस्या से खुश होकर भोलेनाथ ने माता रेणुका को फिर से जीवित कर दिया.

शिवलिंग की गहराई एक रहस्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुरा महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग की गहराई अपने आप में एक रहस्य है. ये धरती में कितनी गहराई तक समाया हुआ है, आज तक किसी को इसका ज्ञान नहीं हो पाया है. हालांकि, इस शिवलिंग की गहराई को मापने के लिए कई बार कोशिशें की गई, लेकिन हर बार लोग नाकामयाब रहें.

एक अन्य पौराणिक कहानी
इस मंदिर को लेकर एक अन्य कहानी भी है. दूसरी कहानी के मुताबिक, एक बार रुड़की स्थित कस्बा लंढौरा की रानी अपने लाव-लश्कर के साथ कहीं जा रही थीं. इस दौरान उनका हाथी इस स्थान पर रुक गया. बड़ी कोशिशों के बावजूद वह हिलने को तैयार नहीं था. इस पर रानी ने उस स्थान की खुदाई कराई तो वहां से शिवलिंग निकला. जिसके बाद रानी ने इस स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करवाया.

रावण ने भी की थी अराधना
ऐसा कहा जाता है कि रावण ने बी यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी. अब यहां लाखों श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. सावन, महाशिवरात्रि और हर सोमवार को यहां भक्तों की भीड़ लगती है. दूर-दूर से शिव भक्त यहां भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं. सावन और महाशिवरात्रि पर यहां की रौनक देखते ही बनती है. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.

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