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UP News: सीएम योगी के सामने ये आठ चुनौतियां, 2027 चुनाव तक देने होंगे कई इम्तेहान

UP News: योगी सरकार के कार्यकाल के 8 साल पूरे हो चुके हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. उनके कार्यकाल की चुनौतियों के बारे में आइए जानते हैं...

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Pooja Singh|Updated: Mar 24, 2025, 02:00 PM IST
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UP News: यूपी की योगी सरकार के कार्यकाल के आठ साल पूरे हो गए हैं. पूरे प्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित हुआ है. सीएम योगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार की उपलब्धियां बताईं. उन्होंने रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए प्रदेश की जनता को धन्यवाद दिया. रिपोर्ट कार्ड में अन्नदाता किसानों से लेकर महिलाओं तक के लिए सरकार की तरफ से किए गए काम का जिक्र किया गया है. सीएम योगी के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर है. सीएम योगी ने आठ साल लगातार रहकर यूपी में सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड बना लिया है, लेकिन क्या बीजेपी लगातार तीसरी बार उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने का रिकॉर्ड कायम कर पाएगी, यह सबसे बड़ी चुनौती है.

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में भाजपा ने सभी 17 नगर निगमों ने जीत दर्ज कर इतिहास रचा था, लेकिन अगले साल पंचायत चुनाव होने हैं. पंचायत चुनाव के नतीजों से पता चलेगा कि ग्रामीण इलाकों में भाजपा की पकड़ कितनी मजबूत है. यह यूपी विधानसभा चुनाव 2027 के पहले बड़ा इम्तेहान होगा. 

2027 चुनाव तक हिन्दुत्व की आंच
लोकसभा चुनाव में महज 37 सीटों पर सिमटी भाजपा को विधानसभा चुनाव के पहले एकजुट रखना बेहद अहम होगा. भाजपा को मार्च के अंत तक नया प्रदेश अध्यक्ष भी मिल जाएगा. ऐसे में सरकार और संगठन में शीर्ष स्तर पर समन्वय करके आगे बढ़ने की जिम्मेदारी भी सीएम योगी पर होगी. सीएम योगी ने अखिलेश यादव के पीडीए वाले जातीय समीकरणों को ध्वस्त करते हुए हिन्दुत्व को नई प्रखर पहचान दी है. वो पीएम मोदी के बाद हिन्दुत्व के नए पोस्टर ब्वॉय बन चुके हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी तक उनकी मांग है. 2027 चुनाव तक हिन्दुत्व की आंच को बनाए रखने की चुनौती भी उन पर होगी.

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महाकुंभ को लेकर चुनौती
2017 से पहले प्रदेश में कानून व्यवस्था की बदहाली के बारे में सीएम योगी ने बताया कि बेटी से लेकर व्यापारी तक पीड़ित रहते थे. दंगे और हिंसा होती थी. अपराधियों का बोलबाला था. पहले यहां पहचान का संकट था. योगी सरकार को महाकुंभ को लेकर भी कई चुनौतियां देखने को मिली. न्योते को लेकर भी खूब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप हुए. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि योगी आदित्यनाथ को राम मंदिर उद्घाटन जैसा मौका फिर से मिल गया है - राम मंदिर उद्घाटन समारोह को लेकर राजनीति की शुरुआत भी ऐसे ही हुई थी.

अयोध्या में चुनाव जीतने की चुनौती
वहीं यूपी की नौ विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में 7 सीटें बीजेपी की झोली में डालकर सीएम योगी ने अपने प्रभाव की मिसाल पेश की थी. उपचुनाव में अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव टक्कर की थी. मिल्कीपुर सीट असल में फैजाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा है और अवधेश प्रसाद के सांसद बन जाने से वो सीट खाली हुई है. अवधेश प्रसाद की जीत को सपा समेत पूरा विपक्ष बीजेपी की अयोध्या की हार के रूप में प्रचारित करता दिखा. हालांकि, अपनी कमर तोड़ मशक्कत के बाद इस सीट पर बीजेपी ने अपना परचम लहरा लिया. इस सीट पर बीजेपी के चंद्रभानु पासवान ने 61,710 वोट के अंतर से सपा के अजीत प्रसाद को हराया था. चंद्रभानु को एक लाख 46 हजार 397 वोट मिले जबकि सपा उम्मीदवार को 84 हजार से ज्यादा वोट हासिल हुए.

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संभल के बहाने हिंदुत्व का एजेंडा 
संभल के बहाने हिंदुत्व का एजेंडा आगे बढ़ाने की भी चुनौती सामने आई थी. संभल में हुई हिंसा और बवाल को लेकर सीएम योगी ने यूपी विधानसभा में जो भाषण दिया, उससे साफ है कि कैसे संभल के बहाने हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ाने की कवायद चल रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि बाबरनामा भी कहता है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर वहां ढांचा खड़ा किया गया. हमारे पुराण भी कहते हैं कि भगवान विष्णु का दसवां अवतार संभल में ही होगा. इसी संभल में होगा.

बीजेपी पर प्रभाव बनाए रखने की चुनौती
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के हिस्से में सिर्फ 33 सीटें मिली थी. वहीं, सपा को 37 सीटें हासिल हुई थी. जिसके बाद योगी आदित्यनाथ पार्टी में ही अपने राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर आ गए थे, लेकिन जल्द ही उससे उबर भी गए. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने योगी आदित्यनाथ को कठघरे में खड़ा करते हुए सरकार और संगठन में फर्क समझाकर खूब बहस की थी. वहीं,  लव जिहाद और घर वापसी के बाद अयोध्या से संभल तक जो राजनीति होनी थी, हो गई. निश्चित तौर पर ऐसी चीजों ने योगी आदित्यनाथ को बीजेपी में बड़ा मुकाम हासिल करने में अहम योगदान दिया. अपने दम पर वो दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन गवर्नेंस के मामले में उनके नाम अब तक कोई निजी उपलब्धि सामने नहीं आई. 

बुलडोजर और एनकाउंटर पर सवाल
अपने कार्यकाल में योगी सरकार अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए खूब बुलडोजर चलाए और अपराधियों के नाम के दम कर दिए. योगी सरकार के इस एक्शन से जहां अपराधी कांपने लगे तो वहीं राजनीतिक दलों ने बाबा के बुलडोजर चलाने पर सवाल खड़े किए और कई संगीन आरोप भी लगाए. वहीं इन दिनों एनकाउंटर भी बेहद सुर्खियों में है. अब तक योगी सरकार में पुलिस प्रशासन ने कई ईनामी बदमाशों का खात्मा कर दिया है.

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