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राजीव गांधी, अमर सिंह से लेकर मुलायम तक... अमिताभ बच्चन की सियासतदानों संग दोस्ती कैसे बनी और बिगड़ी

Amitabh Bachchan: एक समय में तो सोनिया अमिताभ को रक्षाबंधन पर राखी बांधा करती थीं. अमिताभ बच्चन ने स्वीकार किया कि आपातकाल के समय उनका कई जगह बहिष्कार हुआ क्योंकि उनका परिवार गांधी परिवार के करीब माना जाता था.

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amitabh bachchan
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Subodh Anand Gargya|Updated: Oct 10, 2024, 07:17 PM IST
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Amitabh Bachchan: अमिताभ बच्चन हिंदी सिनेमा के महानतम अभिनेताओं में से एक हैं. पांच दशकों में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम ने उन्हें महानायक बनाया और शहंशाह भी. 70 और 80 के दशक में 'एंग्री यंग मैन' की तूती बोलती थी और वे बॉलीवुड को वन मैन शो बनाए हुए थे. लेकिन आज हम आपको अमिताभ के सियासी सफर के बारे में बताएंगे और बात करेंगे उनकी राजनेताओं संग दोस्ती के बनने बिगड़ने की.

राजीव गांधी संग दोस्ती: अभिनय की दुनिया में कदम रखने से पहले अमिताभ बच्चन की राजीव और संजय गांधी से दोस्ती थी. जिन दिनों अमिताभ का दिल्ली रहना हुआ उन दिनों बच्चन परिवार नेहरू गांधी परिवार के बेहद करीब था. इन रिश्तों की गर्माहट का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि साल 1968 में जब सोनिया गांधी पहली बार भारता आईं तो अमिताभ उनको रिसीव करने एयरपोर्ट पर थे. उस समय पालम एयरपोर्ट पर सोनिया गांधी और अमिताभ बच्चन पहली बार मिले थे. सोनिया गांधी लगभग डेढ महीने बच्चन परिवार के साथ रही थीं. इसके बाद उनकी राजीव गांधी से शादी हो गई थी.

एक समय में तो सोनिया अमिताभ को रक्षाबंधन पर राखी बांधा करती थीं. अमिताभ बच्चन ने स्वीकार किया कि आपातकाल के समय उनका कई जगह बहिष्कार हुआ क्योंकि उनका परिवार गांधी परिवार के करीब माना जाता था. यह कोई साल 1984 का समय था जब अमिताभ बच्चन ने एक्टिंग के करियर से ब्रेक लेने की सोची और सियासत की दुनिया में कदम रखा. यह इरादा भी अमिताभ के दिल में क्यों न आता आखिर उनके साथ उनके दोस्त राजीव गांधी जो खड़े थे.

हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया: अमिताभ ने इलाहाबाद लोकसभा से चुनाव लड़ा और पू्र्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को हरा दिया. उन्होंने 68.2% वोट पाकर बड़ी जीत दर्ज की थी. बाद में अमिताभ बच्चन के भाई अजिताभ का नाम बोफोर्स घोटाले से जोड़ा जाने लगे. साल 1987 में अमिताभ बच्चन ने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. ऐसा माना जाता है कि अमिताभ को राजीव गांधी ने इस्तीफा देने के लिए कहा. यह बात अमिताभ को बुरी लगी थी.हालांकि बाद में पता चला कि अजिताभ पर लगाए आरोप निराधार थे.

अमर सिंह संग दोस्ती: 1996 में अमिताभ ने अपने खुद के नाम से एबीसीएल कंपनी की शुरुआत की. 1997 आते आते एबीसीएल बर्बाद हो गई. इंडियन इंडस्ट्री बोर्ड ने इसे एक फेल कंपनी घोषित किया. 1999 में तो अमिताभ पर बहुत कर्ज हो चुका था. इसके बाद अमिताभ अपने दोस्त अमर सिंह से दोस्ती के लिए जाने गए. अमर सिंह ने बच्चन को इस हालत से उबरने में मदद की. अमर सिंह संग अमिताभ की दोस्ती बहुत मशहूर हुई.

हालांकि जब अमर सिंह को तिहाड़ जाना पड़ा तो उस समय बच्चन परिवार से कोई भी उनसे मिलने नहीं आया. इसके बाद से अमर सिंह बच्चन से नाराज रहने लगे. अमर सिंह ने अमिताभ के परिवार को लेकर बहुत से दावे किए. आगे चलकर अमर सिंह से भी अमिताभ की दूरियां बढ़ती गईं. हालांकि अमर सिंह ने अपने निधन से पहले अमिताभ से माफी मांग ली थी और अमिताभ ने भी उनको भावुक श्रद्धांजलि दी थी.

मुलायम सिंह संग दोस्ती: अमर सिंह के चलते अमिताभ समाजवादी पार्टी के करीब आए. मुलायम सिंह संग रिश्तों की मिसाल यह है कि नेताजी के सैफई में एक स्कूल का नाम अमिताभ बच्चन के नाम पर है. मुलायम सरकार ने सीएम रहते हरिवंशराय बच्चन को यश भारती सम्मान से सम्मनित किया था. इसके लिए मुलायम खुद बच्चन के घर पहुंचे थे.

जया बच्चन लंबे समय से सपा सांसद: अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन इस समय सपा के टिकट से ही राज्यसभा में सांसद हैं. जया बच्चन लंबे समय से सपा की ओर से राज्यसभा के लिए भेजी जाती रही हैं. गौरतलब है कि जब अमर सिंह को मुलायम सिंह ने पार्टी से निकाल दिया था तो जया बच्चन ने सपा में रहना चुना था. यह दिखाता है कि अमिताभ की दोस्ती मुलायम सिंह संग कितनी गहरी थी. आगे चलकर मुलायम सिंह ने अमिताभ बच्चन को यूपी का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया. बाद में जब मुलायम सिंह का निधन हुआ तो अमिताभ बच्चन ने अपनी पत्नी और बेटे को मुलायम सिंह के अंतिम संस्कार में भेजा था.

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