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BJP में था भारी विरोध पर अटल के फैसले से मायावती बनीं यूपी की सीएम, पर बसपा सुप्रीमो ने एक वोट से गिरवा दी थी वाजपेयी सरकार

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गठबंधन की राजनीति का शिल्पकार कहा जाता है. यूपी में भी अपने ही दल में विरोध के बाद भी उन्होंने मौजूदा बसपा प्रमुख मायावती को कुर्सी पर बिठाया था.

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Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary
Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary
Shailjakant Mishra|Updated: Dec 25, 2024, 01:17 PM IST
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Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यानाथ तक देश की तमाम दिग्गज हस्तियों ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की. अटल जी राजनीति की वो शख्सियत हैं, जिनमें सबको साधने का हुनर था. यही वजह है कि विपक्षी दलों के नेता भी उनके मुरीद थे. उनको गठबंधन की राजनीति का शिल्पकार कहा जाता है. जिसकी झलक 1999 में दिखी जब कई दलों से मिलकर न केवल सरकार बनाई बल्कि 5 साल का कार्यकाल भी पूरा किया. यूपी में भी अपने ही दल में विरोध के बाद भी उन्होंने मौजूदा बसपा प्रमुख मायावती को कुर्सी पर बिठाया था.

90 के दशक में बदली यूपी की सियासत
दरअसल, राम मंदिर आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा फेरबदल देखने को मिला था. एक तरफ जनता ने कांग्रेस का हाथ छिटका तो समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बसपा से मायावती जैसे नेताओं ने राजनीतिक पटल पर दस्तक दी. साथ में दोनों ने चुनाव भी लड़ा और उत्तर प्रदेश में सत्ता की कुर्सी हासिल की लेकिन यह साथ लंबे समय तक नहीं चला. 1997 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो किसी एक दल को बहुमत नहीं मिला. नतीजन हर दल सरकार बनाने के जोड़तोड़ में लगा था.

सीएम की रेस में मायावती  
लेकिन सियासी गणित ऐसा था कि मायावती के बिना सीएम की कुर्सी पर कोई भी नहीं बैठ सकता था. ऐसे में बीजेपी के समर्थन से मायावती के यूपी की सीएम बनने की खबर चलीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अटल जी चाहते थे कि मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनें. उन्होंने मुरली मनोहर जोशी को मायावती से बातचीत के लिए भेजा. लेकिन बीजेपी के भीतर इस पर दोफाड़ था. उनके इस फैसले का पार्टी के अंदरखाने विरोध भी हुआ. पार्टी नेता नहीं चाहते थे कि मायावती सीएम बनें.

अकाट था अटल जी फैसला
लेकिन अटल जी का निर्णय एकदम साफ था. सियासी जानकार बताते हैं कि उन्होंने पार्टी नेताओं को गठबंधन की सियासत की दूरगामी नीति के बारे में बतााय था. कहा कि आने वाले समय में आने वाले समय में राजनीति की धुरी गठबंध के इर्द-गिर्द ही घूमेगी. इसके लिए हर किसी को तैयार रहना होगा.

मायावती की तारीफ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अटल बिहारी वाजपेयी ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक में साफ कहा कि कभी कोई गड़बड़ी हुई होगी लेकिन यह कतई नहीं भूला जा सकता है कि वह (मायावती) जिस समाज से आती हैं, वह सदियों तक पीड़ित कहा है. अगर सरकार बनती है तो उस समाज की उन्नति होगी और वह आगे बढ़ेगा. इसके लिए तमाम अपमान भुलाकर हम सभी को आगे बढ़ना चाहिए. पुरानी बातों के लिए राजनीति में कोई जगह नहीं है. इनको भुलाकर आगे बढ़ना होगा. इसके बाद मायावती यूपी की सीएम बनी थीं. मायावती भी अटल जी का सम्मान करती थीं. लेकिन 1999 में मायावती ने एनडीए का हिस्सा रहते ही वाजपेयी सरकार के खिलाफ हो गई थीं. और एक वोट से वाजपेयी सरकार गिर गई थी.

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