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यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में टिकट मिलेगा या नहीं इस 'फॉर्मूले' से होगा तय, बीजेपी का सर्वे बढ़ाएगा विधायकों की टेंशन!

UP News: यूपी में अगले विधानसभा चुनाव के लिए बीेजपी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए पार्टी अपने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कराने में जुट गई है. जिसके आधार पर ही 2027 में टिकट दिए जाएंगे.

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Vishal singh Raghuvanshi|Updated: May 19, 2025, 01:57 PM IST
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UP Vidhan Sabha Chunav 2027 (विशाल सिंह रघुवंशी):  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तकरीबन दो साल का वक्त बाकी है लेकिन मिशन 2027 को लेकर अभी से सियासी गुणा-गणित सेट होने लगा है. 2017 से सूबे में सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए रणनीति तैयार करने में जुट गई है. भाजपा प्रत्याशियों के चयन को लेकर कोई गलती नहीं करना चाहती है. इसलिए फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ा रही है. टिकट का फॉर्मूला सेट हो गया है.

तैयार होगा बीजेपी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड
दरअसल, यूपी में भारतीय जनता पार्टी ने अपने विधायकों के कामकाज का सर्वे करवाने का फैसला लिया है. सर्वे के आधार पर ही टिकट तय किये जाएंगे.
पार्टी टिकट बांटने से पहले विधायकों को जनता की कसौटी पर कसेगी. जनता के बीच में विधायक जी की छवि कैसी है. इसको लेकर विधानसभावार डेटा तैयार किया जाएगा. बीजेपी का मैसेज साफ है पार्टी टिकट उन्हीं को देगी जो जनता के बीच पसंद किए जाते हैं.

 सर्वे में होंगी तीन कैटेगरी
सर्वे में विधायकों के परफॉर्मेंस का आकलन ए, बी और सी तीन श्रेणियों में किया जाएगा.सर्वे के बाद विधायकों को श्रेणीबद्ध करते हुए अंक दिए जाएंगे. सबसे ज्यादा अंक पाने वाले विधायक को ए श्रेणी में रखा जएगा. इसी तरह अंक के आधार पर बी और सी कैटेगरी में रखा जाएगा. प्रदेश के स्तर से पूरा डाटा तैयार करके पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट भेजी जाएगी. उन विधायकों का पत्ता साफ हो सकता है जो जनता के बीच पैमाने पर खरे नहीं उतरते हैं.

सर्वे का ये होगा पैमाना
- पहली और दूसरी बार के विधायकों का परफारमेंस कैसा रहा.
- क्षेत्र में विकास निधि की धनराशि खर्च करने की स्थिति कैसी है.
- जनसमस्याओं के निस्तारण में कितनी सक्रियता दिखाई.
- पिछले चुनाव में प्रतिद्वंदी से कम मार्जिन से जीतने की क्या वजह हैं.
- जनता की नजर में विधायकों की छवि कैसी है.
- 2027 में चुनाव जीतने की संबंधित विधायक की कितनी संभावना है.
- पार्टी के कार्यक्रमो में कितनी सक्रियता रहती है.
- संगठन में पदाधिकारियों के साथ कैसा तालमेल है.

बरती जाएगी गोपनीयता
फीडबैक के आधार पर भी तय किया जाएगा कि प्रत्याशी की दावेदारी उसकी जमीन हकीकत से कितने मेल खाती है. यूपी में सहयोगी दल सुभासपा भी इसे सही मानती है. विधायकों तक जनता की पहुंच और उनकी विजिबिलिटी, परफॉर्मेंस से संतुष्टि और लोकप्रियता का स्तर तक के इस आंकलन में पूरी गोपनीयता बरती जाएगी. हालांकि भाजपा विधायकों के इस सर्वे रिपोर्ट पर सपा हमलावर हो गयी है. भाजपा विधानसभा चुनावों में विधायकों को लेकर कई बार सर्वे कराती रही है और उसके आधार पर कई बार टिकटों का बंटवारा भी हुआ है. ऐसे में विधायकों के लिए यह सर्वे चिंता बढ़ाने वाला हो सकता है.

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