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मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को दिखाई जमीन, सभी पदों से छुट्टी की, उत्तराधिकारी पर भी बसपा सुप्रीमो ने किया बड़ा ऐलान

BSP Meeting in Lucknow: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के सियासी दल बहुजन समाज पार्टी (BSP) में बड़ा फेरबदल हुआ है. पार्टी को दो नए नेशनल को-ऑर्डिनेटर मिले हैं. मायावती के इस फैसले से बसपा में हड़कंप मच गया है

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Preeti Chauhan|Updated: Mar 02, 2025, 04:04 PM IST
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 BSP Meeting in Lucknow: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को बसपा की अहम बैठक में ऐसा फैसला लिया कि सियासी भूचाल आ गया. मायावती ने उनके उत्तराधिकारी माने जा रहे भतीजे आकाश आनंद को सभी पदों से बर्खास्त कर दिया. मायावती ने बैठक में दो टूक कहा कि मरते दम तक उनका बसपा में कोई उत्तराधिकार नहीं होगा. इस फैसले से मायावती ने साफ संदेश दिया कि भले ही चुनाव दर चुनाव बसपा को हार का मुंह देखना पड़ा हो, लेकिन 2027 विधानसभा चुनाव या आगे भी कमान उनके हाथों में ही रहेगी. भतीजे आकाश और ईशान को लेकर चल रहीं सियासी अटकलों पर उन्होंने पूर्ण विराम लगा दिया. मायवती ने पिछले महीने आकाश आनंद के ससुर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था. बसपा सुप्रीमो ने दो नए नेशनल कोआर्डिनेटर बनाने का ऐलान किया. इसमें अपने भाई और बसपा महासचिव आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को जिम्मेदारी दी है.

इसलिए आनंद को किया बाहर

माना जा रहा है कि आकाश आनंद को उनके ससुर की वजह से पार्टी के सभी पदों से बाहर किया है. पार्टी मूवमेंट के खिलाफ कार करने का आरोप उनके ससुर पर लगा है.

कौन हैं आकाश आनंद?
आकाश आनंद मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे हैं.  आकाश ने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की पढ़ाई की है. मायावती उन्हें वर्ष 2017 में राजनीति में लेकर आईं.  विरासत की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को आगे किया. मायावती ने 2017 में हुई सहारनपुर की रैली में आकाश आनंद को अपने साथ मंच पर लाईं. इसे आकाश आनंद की पॉलिटिकल लॉन्चिंग मंच भी कहा जाता है.

संगठन में क‍िया गया बदलाव

हाल के दिनों कुछ राज्यों में बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले दिए गए हैं. चुनाव ख़त्म होते ही दिल्ली में पार्टी ने नया अध्यक्ष बनाया. ऐसी चर्चा है कि बसपा की इस बैठक में मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ पर कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकती हैं. बैठक का एजेंडा तो पिछली मीटिंग में तय किए काम की समीक्षा है.पार्टी सूत्रों के अनुसार, 25 फरवरी को दिल्ली से लखनऊ पहुंचीं बसपा चीफ मायावती ने लगातार प्रदेश के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें करने के बाद संगठन में बदलाव किया है. साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए मायावती ने पहली बार मंडल से लेकर जिले स्तर तक के 1028 प्रभारी बनाए हैं. 18 मंडलों में से प्रत्येक में चार-चार, 75 जिलों में से हर एक में दो-दो और 403 विधानसभा क्षेत्रों में भी 2-2 प्रभारी बनाए गए हैं. पदाधिकारियों के दायित्वों में भी बदलाव किया गया है.

पहले भी बदल चुकी हैं अपना फैसला

मायावती अपना फ़ैसला बदल सकती हैं. वे पहले भी कई बार ऐसा कर चुकी हैं. जिस नेता को हटाती हैं उन्हें फिर से वही काम मिल भी जाता है. मायावती के मन में क्या है! ये तो कोई नहीं जानता.  कई मौकों पर उन्होंने अपने फैसलों से चौंकाया है. 

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