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UP Politics: मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के ससुर को पार्टी से निकाला, बसपा सुप्रीमो के फैसले से भूचाल

Akash Anand Mayawati news: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को बड़ा सियासी फैसला लिया है. उन्होंने डॉ. अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया है. सिद्धार्थ तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश,राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़  और दिल्ली जैसे बड़े राज्य के प्रभारी रहे हैं.

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BSP supremo Mayawati expelled nephew Akash Anand father in law Dr. Ashok Siddharth
BSP supremo Mayawati expelled nephew Akash Anand father in law Dr. Ashok Siddharth
Updated: Feb 12, 2025, 02:35 PM IST
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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को बड़ा सियासी फैसला लिया है. उन्होंने डॉ. अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया है. सिद्धार्थ तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश,राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़  और दिल्ली जैसे बड़े राज्य के प्रभारी रहे हैं. मायावती ने उन्हें पहले एमएलसी बनाया और वर्ष 2016 में राज्यसभा भी भेजा था. वो वर्ष 2022 तक राज्यसभा सांसद रहे हैं. डॉ. अशोक ने अपनी बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ की शादी मायावती के भतीजे आकाश आनंद से की थी. डॉ अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह को बसपा से निष्कासित करने की वजह अनुशासनहीनता बताई गई है, हालांकि सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे बड़ी वजह हो सकती है.

पिछले दो दशकों से मायावती का राजनीतिक ग्राफ लगातार नीचे गिर रहा है. कभी बहनजी के इशारे पर कुछ भी करने को तैयार दलित वोटबैंक अब तेजी से बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच बंटता चला जा रहा है. लोकसभा चुनाव में उन्हें एक भी सीट नहीं मिली. जबकि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में वो सिर्फ एक सीट पर सिमट गईं. बसपा में मायावती के उत्तराधिकारी को लेकर भी लंबे समय से अटकलें चल रही हैं. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान आकाश आनंद शुरुआती दौर में जोरशोर से प्रचार में निकले थे. लेकिन बीच में जब उन्होंने विवादित भाषण देने शुरू किए तो उन्हें घर बैठा दिया गया. 

बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिन पर इस बार आकाश आनंद के साथ उनके भाई ईशान को भी देखा गया था. इसके बाद फिर से अटकलें लगना शुरू हुईं कि बुआ अपने दोनों भतीजों को पार्टी की मुख्यधारा में लाकर कमान सौंपना चाहती है. लेकिन ताजा फैसले में आकाश आनंद के ससुर को निकाले जाने से इस पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती का पार्टी में हमेशा मजबूत पकड़ रही है. पार्टी में कभी कोई नंबर दो या तीन की हैसियत में नहीं रह पाया. स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामअचल राजभर, लालजी पटेल, इंद्रजीत सरोज आदि इसके उदाहरण हैं. इन नेताओं ने एक-एक करके सपा या दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली. 

 

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