UP BJP President News: बीजेपी में संगठन चुनाव की प्रक्रिया को करीब 5 महीने होने को आए हैं लेकिन अभी भी 98 संगठनात्मक जिलों में 28 जिलाध्यक्षों के नाम पर मुहर लगना भी बाकी है. यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे से पर्दा नहीं उठ पाया है. ऐसे में सूबे के नए संगठन मुखिया को लेकर सियासी गलियारों में कयासबाजी का दौरा जारी है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कई नाम नाम शामिल हैं.
देरी की क्या वजह?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्या वजह है कि प्रदेश में बीजेपी के नए मुखिया को लेकर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे कौन से समीकरण हैं, जिनको साधने में पार्टी जुटी है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी इस बार दलित चेहरे को भी उत्तर प्रदेश की कमान सौंप सकती है. शीर्ष स्तर पर इस बार प्रदेश अध्यक्ष के लिए पिछड़े और दलित के साथ ही ब्राम्हण चेहरे पर भी चर्चा हुई है. सूत्रों की मानें तो रामनवमी या 15 अप्रैल से पहले प्रदेश को नया बीजेपी अध्यक्ष मिल जाएगा.
मजबूत चेहरे की तलाश
यूपी का किला फतह करने में जातीय समीकरण अहम फैक्टर माना जाता है. 2017 हो या 2022 का विधानसभा चुनाव, दोनों बार बीजेपी के ओबीसी चेहरे (2017 में केशव प्रसाद मौर्य, 2022 में स्वतंत्र देव सिंह) की अगुवाई में प्रदेश में भगवा लहराया. इसी वजह से पार्टी नए नाम के ऐलान को लेकर फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ा रही है. पार्टी की कोशिश ऐसे चेहरे को कमान देने पर हैं, जो प्रदेश में बीजेपी की जीत की हैट्रिक लगवा सके.
क्या बन रहे समीकरण?
प्रदेश अध्यक्ष के साथ की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव होना है. जेपी नड्डा के पास मौजूदा समय में पार्टी की कमान है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष-प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर जातीय समीकरण का तालमेल बिठाना चाहती है. पार्टी की कमान अगर किसी अगड़ी जाति को मिलती है तो यूपी में दलित या ओबीसी चेहरा प्रदेश अध्यक्ष बन सकता है. वहीं ओबीसी या दलित चेहरे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर यूपी में ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश की कमान दी जा सकती है.
रेस में इन नेताओं के नाम
दलित चेहरों में पूर्व एमएलसी विद्यासागर सोनकर का नाम सबसे ऊपर है. पूर्व सांसद रामशंकर कठेरिया और विनोद सोनकर का नाम भी चर्चा में हैं. जबकि पिछड़े चेहरे के तौर पर यूपी सरकार में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्या, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, सांसद बाबूराम निषाद का नाम शामिल है. ब्राम्हण चेहरे के तौर पर राज्यसभा सदस्य और पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक, महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला के नाम की चर्चा है.
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