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शर्त में जीती साइकिल को नेताजी ने क्यों चुना सिंबल, दिलचस्प है सपा के चुनाव चिन्ह की कहानी

Mulayam Singh Yadav death anniversary:  मुलायम सिंह यादव की आज दूसरी पुण्यतिथि है. सोशलिस्ट पार्टी से पहली बार विधायक बनने वाले नेताजी ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की, जिसके चुनाव चिन्ह साइकिल बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है.

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Mulayam Singh Yadav.
Mulayam Singh Yadav.
Shailjakant Mishra|Updated: Oct 10, 2024, 01:13 PM IST
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Mulayam Singh Yadav death anniversary: देश के दिग्गज नेता समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की आज दूसरी पुण्यतिथि है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर देश की बड़ी राजनीतिक हस्तियों ने उनको श्रद्धांजलि दी. सोशलिस्ट पार्टी से पहली बार विधायक बनने वाले नेताजी ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की, जिसके चुनाव चिन्ह साइकिल बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है.

साइकिल कैसे बनी सपा का सिंबल?
समाजवादी पार्टी के गठन के बाद चुनाव आयोग ने पार्टी का सिंबल चुनने के लिए मुलायम सिंह यादव को पार्टी दफ्तर बुलाया. आयोग की तरफ से चुनाव चिन्ह की जो लिस्ट रखी गई, उसमें साइकिल भी थी. इसे देखकर नेताजी का चेहरा खिल उठा. उन्होंने बिना देर किए इस पर उंगली रख दी. इसे ही सपा का सिंबल बनाया गया. मुलायम ने साफ कहा कि पार्टी का झंडा और सिंबल दोनों बिल्कुल नहीं बदलेंगे. साइकिल को पसंद करने के पीछे भी रोचक कहानी है.

शर्त में जीती साइकिल
सियासी जानकार बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव अपने दोस्त के सात उजयानी गांव में थे, दोपहर का समय था, गांव के कुछ लोग ताश खेल रहे थे.  यहीं ताश खेल रहे आलू कारोबारी लाला रामप्रकाश गुप्ता ने शर्त रख दी कि जो जीतेगा उसे रॉबिनहुड साइकिल दी जाएगी. मुलायम के लिए तब साइकिल सपना हुआ करती थी. उन्होंने बाजी मारी और साइकिल पर कब्जा जमाया.

साइकिल से पुराना रिश्ता
साइकिल और नेताजी का रिश्ता बेहद पुराना रहा है. कॉलेज के दिनों में वह करीब 20 किलोमीटर साइकिल चलाकर इटावा पढ़ने जाते थे. यही नहीं तीन बार विधायक बनने के बाद भी मुलायम सिंह यादव का साइकिल से साथ नहीं छूटा. 1977 तक उन्होंने साइकिल की सवारी की. उस समय साइकिल किसानों, गरीबों, मजदूरों और मिडिल क्लास की सवारी थी. साइकिल चलाना आसान और सस्ता था. सेहत के लिए भी साइकिल चलाना फायदेमंद है. इसी वजह से साइकिल को ही सिंबल के लिए चुना गया.

शानदार रहा राजनीतिक करियर
नेताजी का राजनीतिक करियर शानदार रहा है.  महज 28 साल की उम्र में ही वह 1967 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर की सीट से पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद जनता पार्टी सरकार में 1977 में पहली बार मंत्री बने. मुलायम सिंह ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी. मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे. साथ ही तीसरा मोर्चा की सरकार में रक्षामंत्री भी रहे.

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