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Uttarakhand UCC Bill: उत्तराखंड से ही क्यों समान नागरिक संहिता की शुरुआत, BJP ने चुनाव के पहले चली सधी चाल

Uttarakhand UCC Bill: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के फाइनल ड्रॉफ्ट को धामी सरकार की मंजूरी मिल चुकी है. यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है लेकिन इसकी शुरुआत उत्तराखंड से ही क्यों हो रही है, 5 पॉइंट में समझिए.   

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Uniform Civil Code  in Uttarakhand
Uniform Civil Code in Uttarakhand
Zee News Desk|Updated: Feb 05, 2024, 09:27 PM IST
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Uttarakhand Uniform Civil Code Bill: उत्तराखंड की धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के फाइनल ड्रॉफ्ट को मंजूरी दे दी है. यूसीसी विधेयक का उद्देश्य नागरिक कानूनों में एकरूपता लाना है. 6 फरवरी यानी कल इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा. कानून बनने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा. लेकिन सवाल यह है कि समान नागरिक संहिता की शुरुआत उत्तराखंड से ही क्यों हो रही है, क्या इसके पीछे कोई खास वजह है. आइए जानते हैं. 

  1. उत्तराखंड कम मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है और वहां बीजेपी शासित सरकार है. बीजेपी इसे यहां आसानी से लागू करा सकती है. 
  2. अगर बीजेपी पूरे देश में समान नागरिक संहिता कानून एक साथ लाती है तो यूपी, कर्नाटक और अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो सकते थे. जैसा कि एंटी सीएए प्रोटेस्ट के दौरान देखने को मिला था.
  3. समान नागरिक संहिता को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों भी विरोध है, वहां के जनजातीय इससे उनकी पहचान खत्म होने का मुद्दा उठाकर विरोध कर रही हैं. चुनाव के समय भाजपा पूर्वोत्तर में कोई बड़ा मुद्दा विपक्ष को नहीं देना चाहती.
  4. उत्तराखंड में आसानी से लागू करवाने के बाद वहां मुस्लिमों या अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर कोई फर्क न पड़ने की दलील भी बीजेपी बाद में दे सकेगी. इससे पूरे देश में अल्पसंख्यकों के मन में व्याप्त आशंकाओं को दूर करने में आसानी होगी.
  5. बीजेपी अपने कोर वोटर को भी यह संदेश दे सकेगी कि वो राम मंदिर, धारा 370 की तरह समान नागरिक संहिता के अपने एजेंडे पर कायम है. 
  6. भाजपा नहीं चाहती कि संशोधित नागरिकता कानून जैसा कोई बड़ा मुद्दा चुनावी घड़ी में विपक्ष के हाथ लगे. पिछले दस सालों में तीन तलाक जैसे कानूनों और उज्जवला, मुद्रा योजना जैसी स्कीमों से अल्पसंख्यकों को भी बड़े पैमाने पर फायदा मिला है. मुस्लिम वोटर भी बीजेपी की ओर थोड़ा झुकाव दिखा रहा है. बीजेपी उस वर्ग को नाराज करने का जोखिम मोल नहीं लेगी.
  7.  

विपक्षी दल भले ही आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे हिंदू वोटरों को साधने की चाल बता रहे हों लेकिन बीजेपी अपने घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता का उल्लेख करती रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसका लाभ भी भाजपा को चुनाव में मिल सकता है. लेकिन बीजेपी इसे पूरे देश में एक साथ लागू करने फिलहाल बचती हुई नजर आ रही है. इसके पीछे पहला कारण यह हो सकता है कि कुछ राज्यों में इसे लागू कर इसका मूल्यांकन किया जा सकेगा, अगर इसके बेहतर सकारात्मक परिणाम आए तो देश में भी इसे लागू किया जा सकता है.

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