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Varanasi News: महादेव संग गौरा का विवाह उत्सव शुरू, काशी में शहनाई की मंगल ध्वनि के साथ निभाई गई रस्में

Varanasi News: देवाधिदेव महादेव के विवाह की पहली रस्म बसंत पंचमी पर निभाई गई. महाकुंभ से भेजे गए अभिमंत्रित जल से महंत परिवार ने बाबा की पंचबदन मूर्ति का अभिषेक किया. जानिए पूरी डिटेल

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Varanasi News
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Pooja Singh|Updated: Feb 04, 2025, 08:02 AM IST
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Varanasi News: बसंत पंचमी पर देवो के देव महादेव के विवाह की पहली रस्म श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने निभाई. श्री काशी विश्वनाथ के तिलकोत्सव का आयोजन किया गया. इस उत्सव के दौरान महंत परिवार ने महाकुंभ से भेजे गए अभिमंत्रित जल से बाबा की पंचबदन रजत मूर्ति का  अलंकरण कर महादेव का अभिषेक किया. यह जल धर्मसंघ शिक्षा मंडल के सचिव पंडित जगजीतन पांडेय ने बटुकों द्वारा पूजन के उपरांत भेजा गया. इसके बाद महंत परिवार के सदस्यों ने मिलकर बाबा के तिलक के विधान किए. 

बाबा के तिलक का विधान
काशी वालों की मदद से समस्त लोकाचार परंपरागत ढंग से टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर हुए. बाबा की पंचबदन मूर्ति का भव्य शृंगार किया गया. सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में बाबा को तिलक की सामग्री अर्पित की गई. भोर में मंगला आरती से शुरू हुए अनुष्ठान रात में शुरू हुआ. तिलकोत्सव के बाद मंगल गीतों तक चला. सायंकाल महंत परिवार की अगुवाई में तिलक की रस्म पूरी की गई. शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की बधइया यात्रा निकली.

सांस्कृतिक कार्यक्रम में पारंपरिक गीत
सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर महंत परिवार इस शोभायात्रा का हिस्सा बने. इन थालों में वर के लिए वस्त्र, सोने की चेन, सोने की गिन्नी, चांदी के नारियल सजा कर रखे गए थे. लोकाचार के हिसाब से दूल्हे के लिए घड़ी और कलम के सेट भी एक थाल में सजा कर रखे गए थे. काशी वालों ने दशाश्वमेध मुख्य मार्ग से डेढ़ीनीम स्थित महंत आवास तक पहुंची. यहां पहुंचने पर महंत परिवार ने उनकी अगवानी की. कन्या पक्ष की ओर से महंत परिवार के सदस्यों ने तिलकोत्सव किया. फिर सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाओं की मंडली ने पारंपरिक गीत गाए.

पंचबदन मूर्ति की आरती
जानकारी के मुताबिक, सुबह 04:00 से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन मूर्ति की मंगला आरती उतारी गई. 06:00 से 08:00 बजे तक ब्राह्मणों ने चारों वेदों की ऋचाओं का पाठ किया गया. साथ ही बाबा का त्रिवेणी संगम के जल से अभिषेक किया गया. सुबह 8:15 बजे से बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया. उसके बाद पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच तरह के फलों के रस से 8:30 से 11:30 बजे तक रुद्राभिषेक किया गया. पूर्वाह्न 11:45 बजे बाबा को स्नान कराया गया. 

12:00 से 12:30 बजे तक मध्याह्न भोग अर्पण और आरती की गई. 12:45 से 02:30 बजे तक महिलाओं ने मंगल गीत गाए. 02:30 से 04:45 बजे तक शृंगार के लिए कक्ष के पट बंद किए गए. पंडित वाचस्पति तिवारी और संजीव रत्न मिश्र ने बाबा का दूल्हा के रूप में श्रृंगार किया. 04:45 से 05:00 बजे तक संध्या आरती और भोग के बाद शाम पांच बजे से भक्तों के दर्शन के लिए पट खोला. भक्तों ने बाबा का दूल्हा स्वरूप में दर्शन किया.  

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