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196 साल पुराना मां का चमत्कारिक मंदिर जहां पांचों देवता मौजूद, नवरात्रि में पूरी होती हैं भक्तों की मुराद!

Shaktipeeth Maa Kali Mandir: वाराणसी से लगभग 50 किलोमीटर और जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर जिले के चकिया में शक्ति पीठ माँ काली का मंदिर है.  1829 में महाराज काशी उदित नारायण सिंह बहादुर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था.

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Chandauli maa kaali mandir
Chandauli maa kaali mandir
Zee Media Bureau|Updated: Apr 03, 2025, 05:37 PM IST
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Chandauli maa kaali mandir (संतोष जायसवाल): चैत्र नवरात्रि में माता के मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. चंदौली जिले के शक्ति पीठ मां काली मंदिर में भी श्रद्धा का संगम देखने को मिल रहा है. हजारों की तादाद में चकिया समेत पूर्वी बिहार, मिर्जापुर, और दूर-दराज से श्रद्धालु माँ के दरबार में हाजिरी लगाने के साथ ही माथा टेक मनौती पूरी करने के लिए आ रहे हैं. सुबह पांच बजे से ही मंदिर में होने वाली भव्य आरती की तैयारियां शुरू हो जाती हैं.

मां काली मंदिर कहां है?
वाराणसी से लगभग 50 किलोमीटर और जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर जिले के चकिया में शक्ति पीठ माँ काली का मंदिर है.  1829 में महाराज काशी उदित नारायण सिंह बहादुर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. माना जाता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व गंगा की धारा में माँ काली की प्रतिमा मिली थी, जिसके बाद काशी नरेश ने माता के इस मंदिर का निर्माण कराया. मान्यता है कि नवरात्रि में भक्तों की मुराद पूरी होती है.

मंदिर की खासियत
मंदिर के गर्भगृह में सुतली और विभिन्न रंगों का प्रयोग कर महिषासुर और देवी-देवताओं का सजीव चित्रण किया गया है. अष्टधातु निर्मित महाघंटा स्थापित किया गया है. मंदिर के निर्माण में राजस्थान की कला की झलक साफ देखी जा सकती है. मंदिर के गर्भगृह में सुंदर नक्काशी और पेंटिंग बनाई गई है. मंदिर की मान्यताओं की बात करें तो यहां कभी किसी जमाने में माँ महाकाली को खुश करने के लिए बकरे की बलि दी जाती थी. हालांकि आज इस मान्यता और परंपरा पर प्रशासन ने रोक लगा दी है.

मंदिर के पुजारी का कहना?
मंदिर के पुजारी वीरेंद्र कुमार झा बताते हैं कि माँ काली आदिशक्ति हैं. गर्भगृह में जो महादेव विराजमान हैं, उनका नाम महाराजाधिराज के नाम से रखा गया है, जो उदितेश्वर महादेव, प्रसिद्धेश्वर महादेव, दीपेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. यहां पांचों देवता हैं, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती और गणेश. उन्होंने बताया कि मनोकामना पूर्ण होने के बाद भी लोग यहां पूजा-पाठ करते हैं. माता में शक्ति है तभी लोग यहाँ दर्शन पूजन के लिए आते हैं. बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन पूजन करने आते हैं.

क्या बोले श्रद्धालु?
माता के मंदिर में दर्शन करने यूपी, बिहार और दूर-दराज से आए सभी श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने पर आस्था के साथ पूरे परिवार के साथ चुनरी, नारियल, धूप अगरबत्ती चढ़ाते हैं. लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि जो भी यहां मनोकामना लेकर आता है, वह पूरी होती है.  माता की ऐसी मूर्ति शायद ही आपको कहीं और देखने को मिले. यहाँ सच्चे मन से मांगी गई सभी की मुराद पूरी होती हैं.

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