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44 साल पहले कटी थी बिजली और अब मिला इंसाफ, 16 लाख देगा विद्युत विभाग, ऑफिस सील

Ghazipur News: गाजीपुर में एक बिजली उपभोक्ता को 44 साल पुराने बिजली कनेक्शन काटे जाने के मामले में कोर्ट से इंसाफ मिला है. कोर्ट ने बिजला विभाग को 16 लाख से ज्यादा के भुगतान का आदेश दिया है साथ ही अधीक्षण अभियन्ता कार्यालय समेत विभाग के अन्य ऑफिस भी सील करने का निर्देश जारी किया है.

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44 साल पहले कटी थी बिजली और अब मिला इंसाफ, 16 लाख देगा विद्युत विभाग, ऑफिस सील
Pradeep Kumar Raghav |Updated: Aug 27, 2024, 07:51 PM IST
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Ghazipur News: गाजीपुर में मंगलवार को बिजली विभाग के एक उपभोक्ता की तीसरी पीढ़ी को न्यायालय से न्याय मिला है और साथ ही न्यायालय के आदेश से बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता कार्यालय को सील कर दिया गया है. अपर सिविल जज(जू. डी.) के आदेश से बिजली विभाग के लालदरवाजा स्थित कार्यालय को मंगलवार कोतवाली पुलिस ने सील कर दिया. 

क्या है पूरा मामला
सदर कोतवाली क्षेत्र के स्टेशन रोड निवासी बाबूलाल की दुकान की बिजली 44 साल पहले बिजली विभाग ने काट दी थी. इस बिजली कनेक्शन से बाबूलाल की आटा चक्की समेत अन्य कई चीज संचालित होती थी. न्यायालय ने बिजली नहीं काटने का आदेश जारी कर रखा था बावजूद इसके बिजली विभाग ने बिजली काट दी थी. बाबूलाल ने बिजली विभाग की इस मनमानी के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा दर्ज कर रखा था और  न्यायालय ने बिजली विभाग को 16 लाख 48 हजार के भुगतान का आदेश दे दिया. 

न्यायालय के आदेश की अवहेलना
न्यायालय के आदेश के बाद भी बिजली विभाग ने वादी को पैसों का भुगतान नहीं किया. न्यायालय के आदेश पर मंगलवार 27 अगस्त 2024 को अधीक्षण अभियंता कार्यालय को पुलिस ने सील कर दिया. अधीक्षण अभियंता कार्यालय में ही बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता के अलावा दो अधिशाषी अभियंता समेत कई अधिकारी बैठते हैं. आज कोर्ट अमीन सदर दिलीप यादव कोतवाली पुलिस के साथ अधीक्षण अभियंता कार्यालय पहुंचे और मुनादी करवा कर उसे सील करवा दिया. कोर्ट अमीन सदर दिलीप यादव ने बताया कि न्यायालय के आदेश के अनुपालन में कार्यालय को कुर्क किया गया है. 

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वर्ष 1980 का है मामला
पीड़ित बाबूलाल के पोते गणेश कुमार साहू ने बताया कि 1980 से मामला चल रहा था. न्यायालय का बिजली नहीं काटने का आदेश था लेकिन उसके बाद भी बिजली विभाग ने बिजली काट दी।इस परिसर में आटा चक्की और कोल्हू चलता था जिसकी वजह से जो क्षति हुई उसको लेकर ही न्यायालय ने ये कार्रवाई की है. 1980 से लेकर क्षतिपूर्ति का आदेश न्यायालय ने दिया है जो कि कुल 16 लाख 48 हजार रुपया है. विभाग को न्यायालय ने कई बार पैसों के भुगतान का आदेश दिया था लेकिन न्यायालय के आदेश का पालन बिजली विभाग ने नहीं किया और अब कार्यालय को कुर्क किया गया है.

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