वाराणसी : हार्ट अटैक, स्ट्रोक और नसों में खून के थक्के जमने जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ाई में आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. संस्थान के स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नैनोपार्टिकल विकसित किया है जो रक्त में थक्का बनने से रोकता है, वह भी रक्त की प्राकृतिक संरचना को बिना प्रभावित किए.
क्या है खोज
डॉ. सुदीप मुखर्जी के नेतृत्व में हुए इस शोध में पोटैशियम फेरिक ऑक्सालेट नैनोकण की खोज की गई है. यह नैनोमैटेरियल खून में बनने वाले खतरनाक थक्कों को रोकने में बेहद कारगर पाया गया है. वैज्ञानिकों ने इसे इंसानों और चूहों के खून पर परखा और पाया कि यह 48 घंटे तक ब्लड क्लॉटिंग नहीं होने देता, जबकि रक्त के गुण भी जस के तस रहते हैं.
कई बीमारियों को रोकने में क्रांतिकारी भूमिका
इस रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय जर्नल 'ACS Applied Materials and Interfaces'में प्रकाशित किया गया है और इसके लिए एक पेटेंट भी फाइल किया गया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह खोज पल्मोनरी एंबोलिज्म, डीप वेन थ्रॉम्बोसिस, स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों को रोकने में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकती है.
नहीं के बराबर साइड इफेक्ट्स
डॉ. मुखर्जी ने बताया कि आमतौर पर इन रोगों के लिए वारफारिन और हेपरिन जैसी ब्लड थिनर दवाएं दी जाती हैं, जिनके कई साइड इफेक्ट्स होते हैं. वहीं, नैनोपार्टिकल आधारित यह तकनीक एक सुरक्षित और सटीक विकल्प के रूप में उभर सकती है.
गर्मी और बढ़ता तापमान भी हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ाता है. ज्यादा गर्मी में शरीर का खून चिपचिपा हो जाता है, जिससे ब्लड फ्लो स्लो हो जाता है और हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. ऐसे में यह नैनो टेक्नोलॉजी आधारित खोज चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाएगी.
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