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Varanasi News: रक्षाबंधन पर सैनिकों की कलाई नहीं रहेगी सूनी, वाराणसी की महिलाओं ने डाक से भेजीं राखियां

Varanasi News: वाराणसी की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने देश की सीमाओं पर तैनात भारतीय जवानों के लिए भारतीय डाक के माध्यम से राखियों का पैकेट भेजा है. जिसे कर्नल विनोद कुमार को भेंट किया. 

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Shailjakant Mishra|Updated: Aug 08, 2025, 11:48 AM IST
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वाराणसी: रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा. भाई-बहन के इस खास पर्व पर वाराणसी में सोन चिरैया और गुलाबो माता स्वयं सहायता समूह की 11 प्रतिनिधि महिलाओं ने भारतीय सरहदों पर तैनात जवानों के लिए कर्नल विनोद कुमार को राखियों का पैकेज भेंट किया. ये महिलाएं जीवनयापन के लिए दीनदयाल आजीविका योजना (शहरी) के तहत अलग-अलग संस्थानों के लिए काम करती हैं.

कर्नल विनोद कुमार ने सोन चिरैया और गुलाबो माता स्वयं सहायता समूह की प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि इन राखियों को सुरक्षित जवानों तक भेजा जाएगा. जिससे वह भावनात्मक तौर पर और ज्यादा मजबूत महसूस करें. प्रतिनिधियों में सीमा विश्वकर्मा, ओम शांति ग्रुप; सुशीला शर्मा, आकृति ग्रुप; कुसुम देवी, सरस्वती माँ समूह; सरिता, सती माँ समूह; एवं मोनी, पूर्वान्चल ग्रुप, सिटी मिशन मैनेजर श्वेता राय, सुशील कुमार व बब्लू भी मौजूद थे.

कर्नल विनोद ने इस मौके पर बताया कि पिछले साल केवल तीन हजार राखी के लिफाफे ही बिक थे लेकिन इस साल केवल 15 दिनों के भीतर ही एक लाख से ज्यादा राखी के लिफाफे लोग खरीद चुके हैं. दो लाख से ज्यादा राखी लिफाफे बेचने का लक्ष्य इस साल रखा गया है. इसके अलावा उन्होंने स्वयं सहायता समूहों को पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाओं के बारे में भी बताया. साथ ही जरूरी बीमा योजनाओं का भी उल्लेख किया.

कर्नल विनोद ने कहा, वे अपनी सोच बदलें और अपने लिए बेहतर विकल्प के रूप में एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित करें ताकि उन्हें जीवन में सकारात्मक ऊर्जा मिले और वे समाज में अपनी प्रतिभा दिखाकर अपनी आय बढ़ा सकें. 

बता दें कि इसके अलावा गुजरात की आंगनवाड़ी की करीब 53 हजार महिलाओं ने देश के बॉर्डर पर डटे भारतीय जवानों के लिए 3.5 लाख राखियां बनाकर भेजी हैं. पवित्र भाई-बहन के बंधन का प्रतीक ये राखियाँ अपने परिवारों से दूर सेवारत बहादुर जवानों के प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि का हिस्सा थीं. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की मौजूदगी में सशस्त्र बलों को "रक्षा सूत्र कलश" भेंट किया गया. इस अनूठी पहल ने गुजरात को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया.

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