Varanasi News: ऐसा कहा जाता है कि रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ धागों की डोर नहीं, बल्कि दिलों की गहराई में बसी बेमिसाल मोहब्बत का प्रतीक भी माना जाता है. जो भाई-बहन के रिश्ते को अटूट बनाता है. हर बार की तरह इस बार भी बाजारों में कहीं धागों वाली राखी चमक रही है, तो कहीं चांदी की राखियों की रौनक बनाई हुई हैं, लेकिन इन सबके बीच वाराणसी की एक कहानी दिल को छू जाती है. जहां एक बहन ने अपने भाई की जिंदगी बचाने के लिए अपनी किडनी दे दी.
PGI लखनऊ में हुआ ट्रांसप्लांट
परिजनों ने बताया कि साल 2016 में सिद्धार्थ की तबीयत अचानक बिगड़ गई. जांच में पता चला कि उनकी किडनी सही से काम नहीं कर रही है और डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी. परिवार में जब कोई देने वाला नहीं मिला तो प्रतिभा ने भाई को अपनी किडनी देने का निर्णय कर लिया. जिसके बाद उनकी जांच हुई और किडनी मैच खा गई. इसके बाद PGI लखनऊ में सफल ट्रांसप्लांट हुआ.
बताया जा रहा है कि आज 10 साल बीतने के बाद भी प्रतिभा और सिद्धार्थ दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं. वहीं इस संबंध में प्रतिभा के पति हिमांशु ने बताया कि यह फैसला परिवार के लिए भावुक करने वाला था, लेकिन बहन के इस साहस ने भाई को नई जिंदगी दी. फिलहाल ये घटना समाज में भाई बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करती है और लाखों लोग इस कहानी को सुनकर भावुक हो रहे हैं.