VHP On Hindi marathi language dispute: महाराष्ट्र में कुछ समय से मराठी न बोलने वालों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं आप सब तो देख-सुन रहे होंगे. राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) के कार्यकर्ताओं पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि वह गैर मराठी लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं. जिसके बाद पूरे राज्य समेत देश में भाषा विवाद की चर्चा गहरी हो गई है. इसी बीच विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की है. मराठी अस्मिता के नाम पर चल रही सियासत को शायद अब एक नया मोड़ मिल जाए. जानें क्या कहा विश्व हिंदू परिषद ने.
'किसी की मेहरबानी से नहीं रह रहे'
महाराष्ट्र में भाषा विवाद पर हो रही राजनीतिक बयानबाजी के बीच विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राज नायर ने मंगलवार को अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाले लोग किसी की मेहरबानी से नहीं, बल्कि अपनी मेहनत से रह रहे हैं.
सभी भाषाओं का हो सम्मान
वीएचपी प्रवक्ता श्री राज नायर ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा "सभी भारतीय भाषाएं हमारी मातृभाषाएं हैं और हर भाषा का सम्मान होना चाहिए. महाराष्ट्र में मराठी राज्यभाषा है, इसलिए यहां उसका सम्मान आवश्यक है और सभी को इसे सीखने का प्रयास करना चाहिए. राजनीतिक बयानबाजी और तू-तू मैं-मैं देश के लिए सही नहीं है. महाराष्ट्र में रहने वाले लोग किसी की मेहरबानी से नहीं, बल्कि अपनी मेहनत और टैक्स भरकर जी रहे हैं. ऐसे में किसी को भी अहसान जताने का अधिकार नहीं है."
मनसे पर निशाना
मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) की मराठी को लेकर की जा रही राजनीति पर उन्होंने कहा, "मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और मराठी यहां की राजभाषा है, जिसका सभी सम्मान करते हैं. मैं स्वयं केरल से हूं, लेकिन मेरा परिवार स्वतंत्रता से पहले से मुंबई में है और हम मराठी से जुड़ाव रखते हैं. मराठी भाषा को अभिमान का स्थान मिला है, पर चुनाव नजदीक आते ही कुछ लोग भाषा विवाद खड़ा कर राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं. गरीब हिंदुओं को आपस में लड़ाया जा रहा है, जबकि सभी मराठी साहित्य, रंगमंच और संस्कृति से प्रेम करते हैं. यह सब एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश है."
सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार सुरक्षित
उन्होंने कहा, "भारत एक महान संविधान के तहत चलता है, जिसे बाबा साहेब अंबेडकर ने हमें दिया है. इस संविधान में सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार सुरक्षित हैं, चाहे वे किसी भी धर्म या वर्ग से हों. जो लोग स्वयं को अल्पसंख्यक कहते हैं, उनके भी अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं. कोई उन पर कोई एहसान नहीं कर रहा. यदि वे इस देश, इसकी मिट्टी और विरासत से प्रेम करें, और इसे अपना देश मानें, तो सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी. पूर्वजों को पहचानना और साझा इतिहास को स्वीकारना ही समाधान है."
बहस का बिषय नहीं
उन्होंने कहा, "दुनिया भर में अल्पसंख्यकों की स्थिति देखें तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं की हालत बेहद खराब है. भारत में अल्पसंख्यकों को जितने अधिकार मिले हैं, उतने किसी देश में नहीं. वास्तव में मुसलमानों को अल्पसंख्यक कहना भी ठीक नहीं, क्योंकि वे भी इसी देश की मिट्टी से जुड़े हैं. यहूदियों और पारसियों को सही मायनों में अल्पसंख्यक कहा जा सकता है. भारत में मुसलमान और ईसाई सबसे सुरक्षित हैं, यह तथ्य है, न कि बहस का विषय."
भाषा विवाद पर महाराष्ट्र में बवाल
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि भाषा के नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं होगी. दूसरी ओर, ठाकरे बंधुओं ने मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए एकजुट होकर विरोध करने का ऐलान कर चुके हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि ठाकरे बंधु इस बयान का जवाब कैसे देते हैं. फिलहाल, भाषा विवाद महाराष्ट्र की सड़कों से लेकर सियासी गलियारों तक चर्चा का विषय बना हुआ है. (इनपुट आईएएनएस से भी)
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