VP Jagdeep Dhankhar: सरकार की तरफ से पिछले दिनों जाति जनगणना के ऐलान के बाद से ही इस पर चर्चाओं दौर जारी है. इसी कड़ी में अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी जाति आधारित जनगणना को एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी कदम बताया. नई दिल्ली में गुरुवार को भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आगामी दशक की जनगणना में जातिगत आंकड़े जुटाने का निर्णय सामाजिक न्याय और जवाबदेही की दिशा में बड़ा गेम-चेंजर होगा.
व्यक्तिगत अनुभव शेयरकरते हुए कहा..
असल में उपराष्ट्रपति ने कहा कि 1931 की जातिगत जनगणना के बाद यह पहला मौका होगा जब जाति के आधार पर व्यापक आंकड़े जुटाए जाएंगे. उन्होंने व्यक्तिगत अनुभव शेयरकरते हुए कहा कि मैंने भी कई बार अपनी जाति जानने के लिए 1931 की जनगणना को देखा है. इससे पता चलता है कि ऐसी जानकारी कितनी अहम हो सकती है.
विभाजनकारी नहीं बल्कि एकीकरण के उपकरण
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस पर हो रही बहस पर कहा कि जातिगत आंकड़े विभाजनकारी नहीं बल्कि एकीकरण के उपकरण बन सकते हैं. उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि यह अपने शरीर की एमआरआई कराने जैसा है तभी आपको असली तस्वीर मिलती है. उन्होंने कहा कि ऐसे डेटा से संविधान में निहित समानता जैसे संकल्पों को व्यावहारिक नीतियों में बदला जा सकता है.
देश एक उभरती शक्ति है
उपराष्ट्रपति ने सटीक और समकालीन आंकड़ों की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि बिना डेटा के नीति बनाना अंधेरे में सर्जरी करने जैसा है. उन्होंने कहा कि सांख्यिकी केवल संख्याएं नहीं बल्कि नीति निर्माण की अंतर्दृष्टि का आधार होती हैं. भारत अब केवल संभावनाओं वाला देश नहीं रहा बल्कि एक उभरती शक्ति है जो अब साक्ष्य-आधारित विकास के रास्ते पर चल चुका है. आईएनएस इनपुट
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