Supreme Court: वक्फ संशोधन अधिनियम पर रोक को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में लगभग चार घंटे बहस हुई. याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह के अलावा वकील सीयू सिंह ने अपनी दलीलें रखी. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि संसद की तरफ पास कानून को (कोर्ट का फैसला आने तक) सवैंधानिक ही माना जाता है. कोर्ट अमूनन किसी कानून के अमल पर अंतरिम रोक नहीं लगता. ऐसा सिर्फ तभी होता है जब कानून को चुनौती देने वालों का केस बहुत मजबूत हो.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि उनका केस बहुत मजबूत है. अगर कोर्ट कानून के अमल पर रोक नहीं लगता तो उससे ऐसा नुकसान होगा जिसकी भरपाई करना संभव नहीं होगा. सिब्बल की ने दलील दी कि ये कानून वक्फ प्रॉपटी की हिफाजत के लिए नहीं बल्कि, उनको हथियाने के मकसद से लाया गया है. सिब्बल ने कहा कि मस्जिद में मंदिरों की तरह हजारों करोड़ का चढ़ावा नहीं होता. चीफ जस्टिस ने सवाल उठाया कि मैं तो दरगाह, चर्च गया हूं, वहां तो चढ़ावा होता है. सिब्बल ने दलील दी कि दरगाह मस्जिद से अलग है, मैं मस्जिद की बात कर रहा हूं.
सिब्बल ने दलील दी कि वक्फ बाय यूजर प्रॉपर्टी के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रावधान 1954 से था, लेकिन पहले ऐसा नहीं था कि रजिस्ट्रेशन न होने पर उसका वक्फ संपत्ति का स्टेटस खत्म हो जाएगा. अब नए कानून में कहा गया है कि रजिस्ट्रेशन न होने पर उन्हें वक्फ की संपत्ति नहीं माना जाएगा.
सिब्बल ने दलील दी कि नए कानून में यह प्रावधान है कि अगर किसी संपत्ति को ASI संरक्षित स्मारक घोषित किया जाता है तो उसका वक्फ प्रॉपटी का स्टेटस छीन जाएगा. अगर नया कानून जारी रहता है तो संभल जामा मस्जिद भी वक्फ संपत्ति नहीं रह जाएगी. ये तो सिर्फ एक उदाहरण है. ऐसी कई वक्फ संपत्ति हैं जो अपना स्टेटस खो देंगी. कोर्ट के पूछा कि अगर किसी मस्जिद को ASI संरक्षित स्मारक घोषित किया जाता है तो क्या उसके चलते वहां मुस्लिमों का इबादत का अधिकार भी छीन जाएगा. सिब्बल ने कहा कि ऐसी सूरत में उस संपत्ति को वक्फ करने का मकसद ही खत्म हो जाएगा.
सिब्बल ने दलील दी कि नए कानून में प्रावधान किया गया है कि धर्मांतरण के जरिए इस्लाम अपनाने वाला व्यक्ति 5 साल से पहले वक्फ नहीं कर सकता. यह प्रावधान पूरी तरह असंवैधानिक है. आर्टिकल 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन करने वाला है.
सिब्बल ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड में लोग चुनकर आते थे. सभी मुस्लिम होते थे. अब सभी सदस्य मनोनीत होंगे और 11 सदस्यों में से 7 तक अब गैर मुस्लिम हो सकते हैं. सेट्रल वक्फ काउंसिल में अगर गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति होती है तो मुस्लिम समुदाय का वक्फ प्रॉपर्टी के प्रबंधन का अधिकार बाधित होता है.
कपिल सिब्बल ने दलील दी कि सेक्शन-3 के तहत प्रावधान है कि अगर कोई सरकारी संस्था या पंचायत जैसी स्थानीय निकाय भी किसी वक्फ संपत्ति पर अपना दावा करती है और कमिश्नर इसकी जांच करना शुरू कर देता है कि वो सरकारी संपत्ति है या नहीं, उसकी जांच जारी रहने के दौरान भी उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा. यानि सिर्फ दावा करने भर से ही संपत्ति का वक्फ स्टेटस छिन जाएगा.
सिब्बल ने कहा कि किसी वक्फ प्रॉपर्टी पर सरकारी संपत्ति और दावे की जांच के लिए जो प्रकिया है, वो सही नहीं हैं. जांच करने का जिसको अधिकार मिला है वो भी सरकारी अधिकारी है, यानि यह ऐसे है कि कोई मुवक्किल अपने ही केस में जज हो. वक्फ के लिए अपनी संपत्ति देने वाले को ट्रिब्यूनल आने का अधिकार तब मिलता है, जब अधिकारी इस नतीजे पर पहुंच जाए कि संपत्ति वक्फ नहीं है.
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