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Waqf Amendment Act SC Hearing: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वक्फ कानून पर किस बात की भर ली हामी, जानें एक-एक डिटेल्स

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि यह मुद्दा ऐसा नहीं है कि कोई सेक्शन देखकर उस पर फैसला किया जाए. इसके लिए पूरे कानून और इतिहास को भी देखना होगा.

Waqf Amendment Act SC Hearing: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से वक्फ कानून पर किस बात की भर ली हामी, जानें एक-एक डिटेल्स
krishna pandey |Updated: Apr 17, 2025, 03:21 PM IST
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Waqf Law Supreme Court Hearing: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे दिन भी सुनवाई की. वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को राहत देते हुए 7 दिन में जवाब दाखिल करने को कहा है. सीजेआई ने कहा, ‘हम अभी किसी भी बात पर रोक नहीं लगा रहे हैं. जहां तक ​​रिट याचिकाओं का सवाल है, हम केवल 5 रिट याचिकाएं चाहते हैं. 100 या 120 से निपटना असंभव है…अन्य को निपटाया हुआ माना जाएगा.

7 दिनों का मिला समय
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन की मोहलत दी है है. सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया कि इस दौरान डिनोटिफिकेशन या नई नियुक्ति नहीं की जाएगी. अगली सुनवाई 5 मई को होगी.

कोई फैसला नहीं करें, सरकार की सुप्रीम कोर्ट से मांग
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि यह मुद्दा ऐसा नहीं है कि कोई सेक्शन देखकर उस पर फैसला किया जाए. इसके लिए पूरे कानून और इतिहास को भी देखना होगा. कई लाख सुझावों पर गौर करके यह कानून पारित हुआ था. उन्होंने कहा कि यदि अदालत कोई आदेश जारी करती है तो उसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.

'वक्फ बाय यूजर' के लिए सरकार का पक्ष जानें
इसके बाद सीजेआई ने कहा कि अदालत चाहती है कि कोई भी पक्ष प्रभावित न हो. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर आप 'वक्फ बाय यूजर' को लेकर भी कुछ कहना चाहते हैं, तो उसके लिए हमारा पक्ष सुने. उन्होंने आश्वासन दिया कि एक सप्ताह तक वक्फ बोर्ड में कोई भी नियुक्ति नहीं होगी.

सरकार ने भरी हामी
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या वह आश्वासन दे सकते हैं कि 1995 के वक्फ कानून के तहत रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टी को डिनोटिफाई नहीं करेंगे? सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को इसका भी भरोसा दिलाया.

पांच मई को अब अगली सुनवाई
अंतरिम आदेश में शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 5 मई तय करते हुए कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि केंद्र सरकार सात दिन के भीतर जवाब दाखिल करना चाहती है. वह अदालत को आश्वासन देते हैं कि वक्फ कानून की संशोधित धारा 9 और 14 के तहत परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी. अगली सुनवाई की तारीख तक, वक्फ, जिसमें पहले से पंजीकृत या अधिसूचना द्वारा घोषित वक्फ शामिल हैं, को न तो डिनोटिफाई किया जाएगा और न ही कलेक्टर द्वारा इसमें कोई बदलाव किया जाएगा. हम इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हैं.

कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है
सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम पर कोई रोक नहीं लगाई है.. हालांकि, इसने 2025 के वक्फ संशोधन अधिनियम के अनुसार केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में किसी भी नियुक्ति के संबंध में एसजी तुषार मेहता द्वारा दिए गए आश्वासन को रिकॉर्ड में ले लिया है और कहा है कि उपयोगकर्ता द्वारा पहले से ही वक्फ घोषित की गई और मूल 1995 अधिनियम के तहत पंजीकृत संपत्तियों को परेशान नहीं किया जाएगा.

वक्फ अधिनियम के खिलाफ दायर 10 याचिकाएं
वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुल 10 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध की गईं. ये याचिकाएं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आप नेता अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने दायर कीं. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और समाजवादी पार्टी के नेता जिया-उर-रहमान बर्क द्वारा दायर नई याचिकाएं भी सूचीबद्ध की गईं.

73 याचिकाओं पर सुनवाई
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर कुल 73 याचिकाओं पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है. कांग्रेस, JDU, AAP, DMK, CPI जैसी पार्टियों के नेताओं ने इस कानून को चुनौती दी है. साथ ही जमीयत उलेमा हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी धार्मिक संस्थाओं और NGO ने भी संशोधन की खिलाफत की है.

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