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मोदी सरकार 2.0 में ही लिखी गई वक्फ बिल की स्क्रिप्ट, महाराष्ट्र फतह ने बदला सीन

Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधित बिल को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है. आज यह लोकसभा में पेश किया जाएगा. इससे पहले हम आपको इस बिल के पीछे की तैयारी के बारे में बताने जा रहे हैं.

मोदी सरकार 2.0 में ही लिखी गई वक्फ बिल की स्क्रिप्ट, महाराष्ट्र फतह ने बदला सीन
Tahir Kamran|Updated: Apr 02, 2025, 11:58 AM IST
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Waqf Amendment Bill: आज लोकसभा में वक्फ संशोधित 2024 पेश किया जाएगा. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई होगी. तीसरी बार सरकार बनने के बाद से ही इस पर काम भाजपा ने काम शुरू कर दिया था. यह बिल नरेंद्र मोदी सरकार की विचारधारा से जुड़े कुछ बड़े फैसलों जैसे 'जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाना, अयोध्या में राम मंदिर बनाना' में शामिल है. वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन और मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को खत्म करना भाजपा का पुराना एजेंडों में शामिल है.

कई मुस्लिम देश के कानून पर हुई चर्चा

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में ही इस पर तैयारी शुरू कर दी थी. 20 जुलाई 2023 को दिल्ली और 24 जुलाई 2023 को लखनऊ में इस विषय पर बैठकें हुई थीं.  लेकिन असली रफ्तार मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में आई, जब जून 2024 में नई सरकार ने शपथ ली और तुरंत इस पर काम शुरू कर दिया. 9 जून को सत्ता में तीसरा वापसी करने के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू को वक्फ संशोधन बिल पर काम करने की जिम्मेदारी दी गई और उनके मंत्रालय ने सऊदी अरब, मिस्र, कुवैत, ओमान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की जैसे देशों में वक्फ प्रबंधन के बारे में जाना और फिर उनपर गहन चर्चा की.

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महाराष्ट्र चुनाव के बाद आई तेजी

अलग-अलग देशों के कानूनों पर विचार के दो महीने के अंदर यानी 8 अगस्त 2024 को कानून मंत्रालय के साथ मिलकर मेहनत करने के बाद, वक्फ अधिनियम में संशोधन और मुसलमान वक्फ अधिनियम को खत्म करने के लिए दो विधेयक संसद में लाए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2024 में महाराष्ट्र चुनाव के बाद वक्फ संशोधन बिल का जिक्र बड़ा इशारा दे दिया था कि सरकार इस पर जल्द ही फैसला लेने वाली है. महाराष्ट्र में बड़ी जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,'वक्फ कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति का हिस्सा है और इसकी संविधान में कोई जगह नहीं है.'

मोदी 3.0 का बड़ा कदम

इसके बाद कई महीनों तक यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास रहे. बीजेपी चाहती थी कि उसके सहयोगी पार्टियां, जिनके मुस्लिम वोट बैंक हैं जैसे- जेडीयू, टीडीपी, एलजेपी (रामविलास), आरएलडी, उनकी चिंताओं को दूर किया जाए. JPC ने जनवरी 2025 में अपनी रिपोर्ट पेश की. अब सरकार चाहती है कि यह दोनों बिल 4 अप्रैल 2025 तक पास हो जाएं, ताकि मोदी 3.0 के पहले साल की यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जाए.

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ब्रिटिश काल में बना था कानून

मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 ब्रिटिश काल का कानून था, जो आज के समय में अप्रासंगिक हो चुका था. 1954 में इसे बदला गया और फिर 1995 में इसे मुस्लिमों के पक्ष में और सशक्त बनाया गया. 2013 में कांग्रेस ने इसमें और संशोधन किए लेकिन इसकी खामियों को दूर करने की कोशिश नहीं की गई. फिलहाल भाजपा सरकार संशोधन कर रही है, हालांकि भाजपा के पास संसद में अकेले बहुमत नहीं है, फिर भी इन विधेयकों के पास होने की पूरी गारंटी मानी जा रही है. इसका मतलब है कि एनडीए (BJP और उसके सहयोगी दल) पूरी तरह एकजुट हैं, जबकि विपक्ष बिखरा हुआ है.

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