Waqf Amendment Bill: देश में इस समय सबसे बड़ा चर्चा का विषय वक्फ संशोधन बिल है. जिसे जल्द ही संसद में पेश किया जाना है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बिल को पास करवाने के लिए अपने सांसदों को व्हिप जारी कर दिया है और इस पर 8 घंटे की चर्चा तय की गई है. इससे पहले ही देशभर में इस बिल के खिलाफ माहौल बन चुका है. विरोध करने वाले मुसलमानों का कहना है कि अगर यह बिल पास हुआ तो वे सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे. कुछ ने आत्मदाह तक की धमकी दे डाली है.
वक्फ बोर्ड.. धार्मिक या कानूनी संगठन?
विरोध करने वालों का तर्क है कि यह बिल इस्लाम के खिलाफ है. जबकि वक्फ बोर्ड कोई धार्मिक संगठन नहीं बल्कि एक कानूनी संस्था है. इसके बावजूद इसे शरीयत से जोड़कर मुसलमानों के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है. सवाल उठता है कि क्या इस मामले में भी नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की तरह अफवाहों का सहारा लिया जा रहा है? इस मुद्दे पर जनता की सोच जानने के लिए 9 शहरों में सर्वे किया गया. लोगों के विचार बंटे हुए नजर आए. कुछ का मानना है कि वक्फ बिल से कोई नुकसान नहीं होगा. जबकि कुछ इसे मुस्लिम समाज के अधिकारों का हनन मानते हैं.
धर्मगुरुओं की राय भी बंटी
बिल के समर्थन और विरोध में मुस्लिम धर्मगुरुओं की अलग-अलग राय सामने आई है. जाने-माने इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने इस बिल को शरीयत से जोड़ते हुए विरोध जताया है. दूसरी ओर कुछ विद्वानों का मानना है कि वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर लगाम लगाना जरूरी है ताकि इसका दुरुपयोग न हो. बीते कुछ वर्षों में वक्फ बोर्ड ने हिंदू मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने की कोशिश की है.. जिससे विवाद बढ़ा है. आरोप है कि वक्फ बोर्ड हिंदू धार्मिक स्थलों पर कब्जा करने का प्रयास कर रहा है. जिससे हिंदू समाज में आक्रोश बढ़ा है. कई लोग इसे 'मुस्लिम भू-माफिया' का रूप भी कह रहे हैं.
भारत में वक्फ संपत्तियों का विशाल जाल
वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास भारी मात्रा में संपत्ति हैं. 889,041 चल-अचल संपत्तियां. 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्ति. सेना और रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ बोर्ड के पास है. दिलचस्प बात यह है कि कई इस्लामिक देशों में वक्फ नाम की कोई संस्था नहीं है. तुर्की, लीबिया, मिस्र, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक में वक्फ जैसी कोई कानूनी संस्था नहीं है.
राजनीतिक समीकरण और वक्फ बिल
लोकसभा में जल्द ही इस बिल पर चर्चा होने वाली है. बीजेपी को इसे पास कराने के लिए अपने सहयोगी दलों का समर्थन चाहिए. NDA के पास 293 सांसदों का समर्थन है जबकि बिल पास करने के लिए 272 सांसदों की जरूरत है. राज्यसभा में NDA के पास 115 सांसद हैं और 119 की जरूरत है. 6 मनोनीत सांसद NDA के पक्ष में वोट कर सकते हैं. विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है और मुस्लिम धर्मगुरु भी इसके खिलाफ हैं. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी इस विरोध के अगुआ बने हुए हैं. ओवैसी वक्फ बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्य भी रहे हैं और लगातार इस बिल की मुखालफत कर रहे हैं.
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