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वक्फ बिल पर बीजेपी की गुगली, विपक्ष जिसे अपना समझ रहा था वो 'खेला' कर गया

Waqf Bill: इसे बीजेपी की गुगली कहें या इन दोनों दलों का मूड स्विंग कहें लेकिन बीजेडी और वाईएसआरसीपी ने एकदम लास्ट टाइम पर अपने सांसदों को मतदान के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया. राज्यसभा में बहस के दौरान बीजेडी के फ्लोर लीडर सस्मित पात्रा ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी अपने सांसदों पर कोई व्हिप जारी नहीं करेगी.

वक्फ बिल पर बीजेपी की गुगली, विपक्ष जिसे अपना समझ रहा था वो 'खेला' कर गया
Gaurav Pandey|Updated: Apr 04, 2025, 01:45 PM IST
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BJD YSRCP Stand: आखिरकार वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को संसद से हरी झंडी मिल गई है. इसको लेकर दो दिनों तक संसद में तीखी बहस हुई. शुक्रवार सुबह तड़के राज्यसभा में भी यह बिल बहुमत से पारित हो गया. इस बिल के जरिए वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विवादों के निपटारे में बड़े बदलाव किए गए हैं. सरकार ने इस बिल को मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने और सभी मुस्लिम समुदायों के हितों की रक्षा के रूप में पेश किया जबकि विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने की साजिश करार दिया. इस बीच एक दिलचस्प घटना हुई जब विपक्ष को एक और बड़ा झटका लगा. हुआ यह कि दो गैर एनडीए दलों ने आखिरी समय एक तरह से अपना स्टैंड बदल दिया. 

दो पार्टियों ने बदला रुख.. विपक्ष के लिए झटका
असल में इसे बीजेपी की गुगली कहें या इन दोनों दलों का मूड स्विंग कहें लेकिन बीजेडी और वाईएसआरसीपी ने एकदम लास्ट टाइम पर अपने सांसदों को मतदान के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया. राज्यसभा में बहस के दौरान बीजेडी के फ्लोर लीडर सस्मित पात्रा ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी अपने सांसदों पर कोई व्हिप जारी नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि हम अल्पसंख्यक समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हैं और हमारे सांसद अपने विवेक के आधार पर मतदान करेंगे. इसी तरह वाईएसआरसीपी ने भी अपने सांसदों को मतदान में स्वतंत्र छोड़ दिया. इससे विपक्षी दलों की रणनीति कमजोर पड़ गई क्योंकि यह पहला मौका था जब कोई गैर एनडीए दल इस बिल पर विपक्ष के साथ खुलकर खड़ा नहीं हुआ.

आखिर में ऐसे बदला सियासी गणित
इस विधेयक पर वोटिंग से पहले तक बीजेडी विपक्ष के साथ थी लेकिन ऐन मौके पर उसने अपना रुख बदल लिया. इससे विपक्ष को करारा झटका लगा. यह पहला मौका था जब किसी गैर एनडीए दल ने विपक्ष के रुख से अलग जाकर बिल के खिलाफ कोई सख्त रुख नहीं अपनाया. इस बीच अमित शाह ने साफ किया कि 2013 के कानून में नागरिक अदालतों में वक्फ से जुड़े मामलों की सुनवाई का प्रावधान नहीं था जबकि नए विधेयक में इसे क्लियर किया गया है. 

उधर सरकार का दावा न्याय और सुधार की दिशा में कदम
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल पेश करते हुए कहा कि यह पूरी तरह समावेशी है और मुस्लिम समाज के हितों को सुरक्षित रखने के लिए लाया गया है. उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन, निर्माण और लाभार्थी सिर्फ मुस्लिम ही रहेंगे. उन्होंने विपक्ष के इस आरोप को भी खारिज किया कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है. वहीं, राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि मोदी सरकार ने इस बिल पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पूरा पालन किया है. 2013 में यूपीए सरकार ने सिर्फ 13 सदस्यों की संयुक्त संसदीय समिति बनाई थी जबकि हमारी सरकार ने 31 सदस्यों की समिति बनाई.

खरगे का पलटवार अल्पसंख्यकों के अधिकार छीन रही सरकार
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि आप उनका बजट घटा रहे हैं, मदरसों की शिक्षा योजनाएं रोक दी गई हैं मुफ्त कोचिंग योजनाएं बंद कर दी गई हैं, और दावा कर रहे हैं कि यह बिल मुस्लिम महिलाओं और गरीबों के लिए है. खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को एक लैंड बैंक की तरह इस्तेमाल कर बड़े कॉर्पोरेट्स को देने की योजना बना रही है. कांग्रेस नेता सैयद नसीर हुसैन ने भी इस बिल की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का प्रयास है.

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