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Wayanad Landslide: वायनाड के गांवों में उजड़े घर, बिखरी यादें.. भूस्खलन के 8 माह बाद भी चीखती खामोशी, कब सुनेगी सरकार?

Wayanad Landslide Aftermath: वायनाड जिले के चूरलमाला में 56 वर्षीय सुहरा जोसेफ अपने पुराने घर की जगह मलबे का ढेर देख रही थीं. पिछले साल 30 जुलाई को आए भयानक भूस्खलन में उनका घर पूरी तरह बह गया था.

Wayanad Landslide: वायनाड के गांवों में उजड़े घर, बिखरी यादें.. भूस्खलन के 8 माह बाद भी चीखती खामोशी, कब सुनेगी सरकार?
Gunateet Ojha|Updated: Mar 31, 2025, 06:08 PM IST
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Wayanad Landslide Aftermath: वायनाड जिले के चूरलमाला में 56 वर्षीय सुहरा जोसेफ अपने पुराने घर की जगह मलबे का ढेर देख रही थीं. पिछले साल 30 जुलाई को आए भयानक भूस्खलन में उनका घर पूरी तरह बह गया था. उस दिन वह अस्पताल में अपने पति के इलाज के लिए गई थीं. जिससे उनकी जान बच गई लेकिन उनके सभी पड़ोसी इस आपदा में मारे गए. सुहरा का कहना है कि मुझे घर खोने का दुख नहीं लेकिन जिन लोगों को मैं जानती थी.. वे अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े.

भूतिया शहर बन गए मुंडक्कई और चूरलमाला

भूस्खलन के आठ महीने बाद भी मुंडक्कई और चूरलमाला वीरान पड़े हैं. कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाली वायनाड की खूबसूरत घाटियां अब डरावनी खामोशी में डूबी हैं. यहां तक कि प्रकृति भी सुस्त दिख रही है. भूस्खलन के बाद मिट्टी और पत्थरों के ढेर पर कोई नया पौधा भी नहीं उगा है. रात के समय यह इलाका जंगली जानवरों का ठिकाना बन जाता है.. जहां हाथी और अन्य वन्यजीव आराम से घूमते नजर आते हैं.

यादों के साए में जी रहे लोग

फैजल.. जो अक्सर इस जगह आते हैं, अपने चाचा-चाची के पुराने घर को देखने पहुंचे. उन्होंने गहरे दुख के साथ कहा कि हमने सब कुछ खो दिया. मित्र, परिवार, पड़ोसी कोई नहीं बचा. यह सन्नाटा असहनीय है. कई लोग आज भी मलबे के नीचे दफन हैं. यह जगह हमारे अपनों की कब्र जैसी है. स्थानीय लोगों को डर है कि अगर इस जगह को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया तो यह उनके लिए असहनीय हो जाएगा.

स्थानीयों की सरकार से अपील

स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को ज्ञापन सौंपकर अनुरोध किया कि इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल न बनाया जाए. मेप्पाडी पंचायत के तीन वार्ड पुंचीरीमट्टम, मुंडक्कई और चूरलमाला अब पूरी तरह खाली हो चुके हैं. जो घर भूस्खलन में नष्ट होने से बच भी गए थे.. वे अब बंद पड़े हैं. मुंडक्कई में एक खेतिहर मजदूर ने बताया कि मैं यहां दस साल से ज्यादा समय से काम कर रहा था. हर सुबह मैं उसी सड़क से गुजरता था जो अब पूरी तरह मिट चुकी है. मैं यहां के हर इंसान को जानता था लेकिन अब कोई नहीं बचा. जब भी इस इलाके से गुजरता हूं.. पुरानी यादें जेहन में कौंध जाती हैं. यह बहुत मुश्किल है.

जहां कभी भीड़ थी वहां अब सन्नाटा

भूस्खलन से पहले चूरलमाला का बाजार इतना व्यस्त रहता था कि मोटरसाइकिल खड़ी करने तक की जगह नहीं मिलती थी. एक दुकानदार ने कहा कि पहले मैं अपनी तीन मंजिला इमारत के किराए से अपना घर चलाता था. अब मैं इसी बिल्डिंग के एक कोने में कच्चे नारियल और अचार बेचकर गुजारा कर रहा हूं. व्यापारियों ने सरकार से कई बार मदद की गुहार लगाई है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला.

सुरक्षा कारणों से पर्यटकों को रोकने का फैसला

सरकार ने इस क्षेत्र में पर्यटन की अनुमति न देने का फैसला किया है. फिलहाल केवल पास धारकों को ही बेली ब्रिज पार कर मुंडक्कई और पुंचीरीमट्टम जाने की इजाजत है. वायनाड का यह इलाका एक समय पर प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मशहूर था. लेकिन अब यह मौत की एक भयावह कहानी बयां करता है. यहां बचे लोगों की जिंदगी सन्नाटे और खोई हुई यादों के बीच सिमट गई है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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