trendingNow12861695
Hindi News >>देश
Advertisement

DNA: 'टेरर फ्रेंडली रिपोर्टिंग'! पश्चिमी मीडिया का भारत के खिलाफ एजेंडावादी रवैया 'बेनकाब'... 97 दिनों के बाद आतंकियों का काम-तमाम

DNA Analysis: सोमवार को जब घाटी में देश की मां-बेटियों का सिंदूर उजाड़ने वालों का सफाया हुआ, तो न्यूज एजेंसी रायटर्स ने क्या लिखा? उसने लिखा भारतीय सेना ने कहा है कि उसने जबरदस्त गनफाइट के दौरान भारतीय कश्मीर में ‘तीन लोगों’ को मार गिराया है.

DNA: 'टेरर फ्रेंडली रिपोर्टिंग'! पश्चिमी मीडिया का भारत के खिलाफ एजेंडावादी रवैया 'बेनकाब'... 97 दिनों के बाद आतंकियों का काम-तमाम
Zee News Desk|Updated: Jul 30, 2025, 11:18 PM IST
Share

DNA Analysis: जिन्होंने पहलगाम में बेगुनाहों के साथ खूनी खेल खेला. क्या वे बस ‘तीन लोग’ थे? तीन लोग? जिन्होंने मजहब के नाम पर 26 जिंदगियों को गोलियों से छलनी कर दिया. क्या वे ‘तीन लोग’ थे? आप मेरे शब्दों पर ध्यान दीजिएगा. पहलगाम के आतंकी दुनिया के लिए क्या थे ये कहने की जरूरत नहीं. लेकिन पश्चिमी मीडिया ने उन्हें ‘तीन लोग’ कहा. इस्लाम के नाम पर धर्मांधता और बर्बरता की सीमाएं पार करने वालों को हार्डकोर टेररिस्ट नहीं,'तीन लोग' कहा गया.

सोमवार को जब घाटी में देश की मां-बेटियों का सिंदूर उजाड़ने वालों का सफाया हुआ, तो न्यूज एजेंसी रायटर्स ने क्या लिखा? उसने लिखा भारतीय सेना ने कहा है कि उसने जबरदस्त गनफाइट के दौरान भारतीय कश्मीर में ‘तीन लोगों’ को मार गिराया है.

'तीन लोग' भारत और भारतीयों के साथ पश्चिमी मीडिया की ये बौद्धिक बेईमानी पुरानी है. लेकिन अब अगर आतंकियों के मारे जाने पर उनकी रिपोर्ट करते हुए भी 'गलत शब्दों की मिलावट' की जाए तो फिर ऐसी सोच पर आप तरस ही खा सकते हैं. और रही बात अपनी रिपोर्ट्स में 'भारतीय कश्मीर' कहने की. तो इनकी ये आदत पुरानी है. और शायद तभी छूटेगी. जब भारत पीओके को वापस लेने के अपने अगले लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेगा.

रायटर्स का झूठ बेनकाब

हद देखिए, रायटर्स ये सब बाकायदा इंडियन आर्मी के हवाले से कहता है. जाहिर है रिपोर्ट करते हुए न सिर्फ तथ्यों को झुठलाया गया. बल्कि भारतीय सेना को कोट करते हुए झूठ का सहारा भी लिया गया! यानी मिसकोट किया गया. फरेब का ये सिलसिला यहीं नहीं रुकता. रायटर्स अपनी रिपोर्ट में आगे लिखता है. आशंका है कि ये लोग भारतीय कश्मीर में 22 अप्रैल को हिंदू टूरिस्टों पर हुए हमले में शामिल थे. जिसके बाद भारत का पड़ोसी पाकिस्तान के साथ गंभीर मिलिट्री कॉन्फ्लिक्ट शुरू हो गया.

97 दिनों के बाद आतंकियों का काम-तमाम 

रॉयटर्स के लिए रिपोर्ट करने वाले सज्जन अब यहां दो भारतीय न्यूज चैनलों का हवाला देते हैं, और कहते हैं कि ऐसे आसार हैं. जबकि एनकाउंटर की खबर के साथ ही यह साफ हो गया था कि घाटी में सुरक्षा बलों ने पहलगाम के गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया है.  97 दिनों के बाद उनका काम-तमाम हो गया है.

लेकिन विदेशी मीडिया का दोहरा चरित्र उजागर होना अभी भी बाकी है.  उनके काम करने के तरीके को जानिए. उनके पूर्वाग्रह को समझिए. इसके लिए अब आपको इसी रॉयटर्स की 2 रिपोर्ट बताते हैं कि कैसे भारत और पाकिस्तान की आतंकी घटनाओं को दो चश्मे से देखा जाता है?

जैसा कि हम पहले भी आपको दिखा और बता चुके हैं. पहली तस्वीर पहलगाम के टेररिस्टों के एनकाउंटर पर रॉयटर्स की रिपोर्ट की है. जबकि दूसरी तस्वीर पाकिस्तान में हुए एक आतंकी हमले की रिपोर्ट है. जिसमें यही रॉयटर्स पाकिस्तानी आर्मी के हवाले से लिखता है कि वहां पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने एक धर्म स्थल पर हमले के बाद 100 आतंकियों को ढेर कर दिया है.

पश्चिमी मीडिया का पूर्वाग्रह

सोचिए भारतीय आर्मी आतंकियों का खात्मा करती है तो तीन आतंकवादी 'तीन लोग' हो जाते हैं.  पाकिस्तानी आर्मी करती है तो '100 आतंकी' कहा जाता है. गौर करने वाली बात और भी है. भारतीय आर्मी को मिसकोट किया जाता है. जबकि पाकिस्तानी आर्मी पर भरोसा दिखाया जाता है. लेकिन इन सबमें दरअसल, पश्चिमी मीडिया खुद अपनी गरिमा गिराता है. अपनी क्रेडिबिलिटी लूज करता है. और साथ ही भारत को लेकर अपने पूर्वाग्रह को दर्शाता है.

 क्या पश्चिमी मीडिया वक्त से बहुत पीछे चल रहा है?

लेकिन सवाल है कि क्या पश्चिमी मीडिया वक्त से बहुत पीछे चल रहा है? भारत को लेकर पश्चिम में बदल चुकी सोच को समझ नहीं रहा है? अलग अलग सेक्टर्स और मोर्चों पर भारतीय दमखम को न पहचानने की भूल कर रहा है? आपको एक वीडियो दिखाते हैं. ओवल का मैदान है. टीम इंडिया पांचवें और आखिरी टेस्ट के लिए प्रैक्टिस कर रही है.  जबकि टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर किसी की क्लास लगा रहे हैं.  जिस शख्स की क्लास लगाई जा रही है वो ओवल का पिच क्यूरेटर है.  वजह तो सामने नहीं आई. लेकिन अंग्रेज पिच क्यूरेटर को लगाई जा रही क्लास लंबी भी थी और गर्मागर्म भी.  जिसका लुत्फ भारतीयों ने सोशल मीडिया पर भी खूब उठाया. 

पश्चिमी देशों का भारत के खिलाफ एजेंडावादी रवैया

फिर वही सवाल है कि गौतम गंभीर अंग्रेज पिच क्यूरेटर की क्लास लगाते हैं तो हमें क्यों सुकून मिलता है? इसका जवाब है पश्चिमी मीडिया और पश्चिमी देशों का भारत के खिलाफ एजेंडावादी रवैया और टारगेट करने वाली सोच. रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर की सेंचुरी से पहले फ्रस्ट्रेट बेन स्टोक्स मैच खत्म करने की कोशिश करते हैं, तो गावस्कर के साथ देश क्यों कह उठता है कि मैच तो अभी चलेगा. शायद इसीलिए, क्योंकि पश्चिम भारत को लेकर अपने पूर्वाग्रहों से नहीं निकल पाता है. आतंकवादियों के लिए रॉयटर्स का 'तीन लोग' कहना इसका सबसे ताजा प्रमाण है.

Read More
{}{}