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जिसने दिलाई थी अजमल कसाब को फांसी! उसने तहव्वुर राणा के भारत आते ही कर दी ये बड़ी मांग

Tahawwur Rana: मुंबई में हुए 26/11 के आतंकवादी हमले ने पूरे देश को दहला दिया था. हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है. जिसके बाद 2008 हमले में जीवित बची गवाह ने ये बयान दिया है.

जिसने दिलाई थी अजमल कसाब को फांसी! उसने तहव्वुर राणा के भारत आते ही कर दी ये बड़ी मांग
Abhinaw Tripathi |Updated: Apr 10, 2025, 04:17 PM IST
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Tahawwur Rana: मुंबई में हुए 26/11 के आतंकवादी हमले ने पूरे देश को दहला दिया था. जिसके बाद दुनिया भर में इस हमले की चर्चा थी. इस हमले में जीवित बची देविका रोतावन ने बृहस्पतिवार को कहा कि मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का अमेरिका से प्रत्यर्पण भारत के लिए एक बड़ी जीत है. उन्होंने मांग की कि पाकिस्तान में छिपे अन्य साजिशकर्ताओं को भी बेनकाब किया जाए और उन्हें सजा दी जाए.

अजमल कसाब की थी पहचान
रोतावन, 26/11 मामले में एक प्रमुख गवाह हैं जिन्होंने मुकदमे के दौरान अदालत में आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब की पहचान की थी. उन्होंने राणा (64) को मृत्युदंड देने की मांग की. मुंबई हमलों के समय रोतावन की उम्र महज नौ साल थी. वह दक्षिण मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) में गोलीबारी के दौरान फंस गई थीं. उनके पैर में गोली लगी थी. कसाब के मुकदमे में उनकी गवाही महत्वपूर्ण थी. कसाब को बाद में मुंबई की एक अदालत ने हमलों में उसकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया और 2012 में उसे फांसी दे दी गई.

कठघरे में लाने का मौका
राणा के भारत प्रत्यर्पण के बारे में बात करते हुए, अब 25 वर्ष की हो गईं रोतावन ने कहा कि वह खुश हैं कि भारत को आतंकवादी हमलों के एक साजिशकर्ता को देश में न्याय के कठघरे में लाने का मौका मिला है. उन्होंने ने कहा, ‘‘यह भारत के लिए एक बड़ी जीत है और मैं इस उपलब्धि के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं. राणा को न्याय का सामना करने के लिए भारत लाए जाने से भारत में आतंकवाद के अंत की शुरुआत हुई है. 26 नवंबर, 2008 को रोतावन अपने पिता और भाई के साथ पुणे जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रही थीं, तभी भीड़भाड़ वाले स्टेशन पर हमला हो गया.

और क्या बोली गवाह
नरसंहार की रात को याद करते हुए उन्होंने कहा, मैंने एक आदमी (जिसे बाद में कसाब के रूप में पहचाना गया) को अपने हाथ में बड़ी बंदूक लेकर यात्रियों पर गोलियां चलाते देखा. मैंने कई शव और घायल यात्री देखे. मैं तब सिर्फ नौ साल की थी. मुझे नहीं पता था कि मेरी आंखों के सामने क्या हो रहा था. गोलीबारी में घायल होने के बाद रोतावन बेहोश हो गईं और उन्हें पहले पास के सेंट जॉर्ज अस्पताल और फिर मध्य मुंबई में सरकारी जे.जे. अस्पताल ले जाया गया, जहां उनके पैर की छह सर्जरी हुईं. उन्होंने याद किया, ‘‘मैंने कसाब को यात्रियों पर गोलियां चलाते देखा और मेरे पिता ने कसाब, अबू इस्माइल (एक और आतंकवादी जिसे सुरक्षा बलों ने मार गिराया था) दोनों को देखा. 10 जून, 2009 को हम निचली अदालत गए, जहां हमने कसाब की पहचान की. राणा पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक है और आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाउद गिलानी का करीबी सहयोगी है. (भाषा)

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