Illegal content on X endangers democracy: आप सबने अक्सर देखा होगा कि सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा कंटेंट वायरल हो जाता है, जो न सिर्फ लोगों को परेशान करता है, बल्कि समाज और देश के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है. फिर चाहे वो फर्जी खबरें हों, नफरत फैलाने वाले पोस्ट हों, या ऐसा कुछ जो समाज में तनाव पैदा करे. खासकर X (जो पहले ट्विटर था) पर तो कुछ लोग खुद को ‘ज्ञानी’ बनाकर हर तरह का कंटेंट परोस रहे हैं. अब किसी के भी मन में यह सवाल उठ सकता है कि आखिर इन्हें इतनी छूट कैसे मिल जाती है? आइए जानते हैं पूरे मामले को और समझते हैं सरकार का इस पर क्या राय है. सबसे पहले सरकार की राय.
गैरकानूनी सामग्री लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट में कहा है कि सोशल मीडिया पर बिना रोक-टोक के फैल रही गैरकानूनी सामग्री लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है. सरकार ने एलन मस्क की कंपनी X पर आरोप लगाया कि वह सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट के तहत 'सेफ हार्बर' प्रावधान का दुरुपयोग करके जिम्मेदारी से बच रही है. सरकार का कहना है कि यह प्रावधान कोई पूर्ण अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार है, जो सोशल मीडिया कंपनियों को जिम्मेदार व्यवहार के आधार पर ही मिलता है.'सेफ हार्बर' का मतलब पूरी छूट नहीं
सरकार कस सकता है शिकंजा?
केंद्र ने कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जरिए कहा कि 'सेफ हार्बर' का मतलब यह नहीं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यूजर्स द्वारा डाली गई सामग्री की कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी पड़ेगी. यह सुविधा तभी मिलती है, जब कंपनियां कानूनी और जिम्मेदार तरीके से काम करें. सरकार ने साफ किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(a)) असीमित नहीं है. यह अधिकार उन सामग्रियों पर लागू नहीं होता, जो समाज की स्थिरता या व्यक्तियों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाए.
अब जानते हैं क्या है 'सेफ हार्बर' का नियम?
सेफ हार्बर’ एक ऐसा कानूनी प्रावधान है, जो भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एक्ट, 2000 की धारा 79 के तहत आता है. आसान भाषा में कहें तो ये नियम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे X, को यूजर्स द्वारा पोस्ट की गई सामग्री के लिए कानूनी जिम्मेदारी से कुछ हद तक बचाव देता है. यानी, अगर कोई यूजर X पर गैरकानूनी, अपमानजनक या गलत कंटेंट डालता है, तो प्लेटफॉर्म को सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, बशर्ते वो कुछ शर्तों का पालन करे.
क्या हैं ये शर्तें?
जिम्मेदार व्यवहार: प्लेटफॉर्म को ये सुनिश्चित करना होता है कि वो गैरकानूनी कंटेंट को बढ़ावा न दे. अगर सरकार या कोर्ट नोटिस दे, तो उसे तुरंत हटाना होगा.
दुर्भावनापूर्ण कंटेंट पर नजर: अगर कोई कंटेंट कानून तोड़ता है, जैसे कि नफरत फैलाने वाला, हिंसा भड़काने वाला या अश्लील सामग्री, तो प्लेटफॉर्म को उसे हटाने की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है.
पारदर्शिता: प्लेटफॉर्म्स को अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं के बारे में यूजर्स को बताना होता है.
X और ‘सेफ हार्बर’ का झोल
केंद्र सरकार का कहना है कि X जैसे प्लेटफॉर्म इस नियम का दुरुपयोग कर रहे हैं. सरकार का आरोप है कि X गैरकानूनी कंटेंट को रोकने में ढील बरत रहा है और ‘सेफ हार्बर’ को ढाल बनाकर जिम्मेदारी से बच रहा है. मसलन, कुछ लोग X पर उल्टा-सीधा कंटेंट डालकर खुद को ‘ज्ञानी’ दिखाते हैं, चाहे वो फर्जी खबरें हों, नफरत फैलाने वाले पोस्ट हों या समाज को नुकसान पहुंचाने वाली बातें. सरकार का कहना है कि ऐसे कंटेंट से लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव को खतरा है.
सरकार का रुख: कचूमर निकलेगा?
केंद्र ने कर्नाटक हाई कोर्ट में साफ कहा कि ‘सेफ हार्बर’ कोई पूर्ण छूट नहीं है. ये एक विशेषाधिकार है, जो तभी मिलता है जब प्लेटफॉर्म अपनी जिम्मेदारी निभाए. अगर X गैरकानूनी कंटेंट को हटाने में नाकाम रहता है या सरकार के नोटिस को अनदेखा करता है, तो उसे इस सुरक्षा से हाथ धोना पड़ सकता है. सरकार ने ये भी कहा कि X के एल्गोरिदम कुछ खास तरह के कंटेंट को जानबूझकर बढ़ावा देते हैं, जिससे समाज में गलत धारणाएं फैल सकती हैं.
सरकार कर देगी सख्ती
सरकार का ये सख्त रुख सिर्फ X तक सीमित नहीं है. ये सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए चेतावनी है कि उन्हें जवाबदेही लेनी होगी. अगर गैरकानूनी कंटेंट पर लगाम नहीं लगी वह दिन दूर नहीं जब सरकार कानून में बदलाव या सख्ती कर सकती है. इससे X जैसे प्लेटफॉर्म्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और उन्हें अपने सिस्टम को और पारदर्शी व जिम्मेदार बनाना पड़ सकता है. साथ ही ऐसे यूजर्स को भी सोच-समझकर कंटेंट पोस्ट करना होगा, वरना कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. तो, ‘सेफ हार्बर’ का मतलब ये नहीं कि कोई भी कुछ भी पोस्ट कर दे और प्लेटफॉर्म आंखें मूंद ले. सरकार की नजर अब X और बाकी सोशल मीडिया पर टिकी है.
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