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जस्टिस यशवंत वर्मा कौन हैं, जिनके सरकारी आवास से मिले करोड़ों रुपये; इन केसों में सुना चुके हैं फैसला

Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाईकोर्ट के जज के सरकारी आवास से खजाना बरामद हुआ. जिसके बाद लोगों के होश उड़ गए. उन्हें फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का फैसला किया गया है. जिसका इलाहाबाद बार एसोसिएशन के द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है. जानत हैं कौन हैं जज यशवंत वर्मा. 

जस्टिस यशवंत वर्मा कौन हैं, जिनके सरकारी आवास से मिले करोड़ों रुपये; इन केसों में सुना चुके हैं फैसला
Abhinaw Tripathi |Updated: Mar 21, 2025, 05:22 PM IST
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Justice Yashwant Verma: देश में अक्सर भ्रष्टाचार का खुलासा होता है. जिसके बाद मामला अदालत में पहुंचता है और दोषी व्यक्ति को अदालत के द्वारा सजा का ऐलान किया जाता है. लेकिन दिल्ली से जो मामला आया उसने हर किसी को हैरान कर दिया. दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई थी. जिस समय ये घटना हुई जज किसी काम से बाहर गए हुए थे. आग लगने के बाद जब आग को बुझाने फायर बिग्रेड की टीम पहुंची तो उसके होश उड़ गए. आवास में करोड़ों रूपए बरामद हुए जिसके बाद उन्होंने ट्रांसफर की सिफारिश की. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का फैसला किया. उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच भी शुरू हो गई है. आखिर कौन हैं यशवंत वर्मा जिनके घर से बरामद हुआ खजाना.

कौन हैं यशवंत वर्मा 
यशवंत वर्मा इस समय पूरे देश में सुर्खियों में बने हुए हैं. उनके घर से  15 करोड़ रुपए बरामद हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यशवंत वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. उन्होने दिल्ली के हंसराज कॅालेज से बी. कॅाम ऑनर्स किया और रीवा विश्वविद्यालय से एलएलबी की. 8 अगस्त 1992 से इन्होंने वकालत की शुरूआत की. साल 2006 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्पेशल एडवोकेट बने. 2012- 2013 तक उत्तर प्रदेश के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल बने. अगस्त 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीनियर वकील बने. 13 अक्टूबर 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने. इसके बाद 1 फरवरी 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में परमानेंट जज बनेय 11 अक्टूबक 2021 को ये दिल्ली हाईकोर्ट के जज बने. 

जज के महत्वपूर्ण फैसले
यशवंत वर्मा कई महत्वपूर्ण फैसले कर चुके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आप नेता और दिल्ली क पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ चल रही कार्यवाही इन्होंने ही बंद की थी. इसके अलावा दिल्ली शराब नीति ( नवंबर 2022) में CBI और प्रवर्तन निदेशालय को आदेश दिया कि वे शराब नीति घोटाले में अपनी जांच के संबंध में जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञप्तियां और मीडिया बयानों को सार्वजनिक करें.

की थी सिफारिश
प्रारंभिक जांच के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को रिपोर्ट सौंपेंगे.  उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की गई है. प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद आरोप वास्तविक और गंभीर पाए जाते हैं, तो इन-हाउस कमेटी प्रक्रिया शुरू होगी. इससे पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुरुवार को बैठक की. न्यायमूर्ति वर्मा के निवास पर आग लगने के दौरान कथित रूप से नकदी बरामद होने के बारे में प्रतिकूल रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार को उनके पैतृक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति वर्मा के ट्रांसफर की सर्वसम्मति से सिफारिश की. 

बार एसोसिएशन कर रहा है विरोध
यशवंत वर्मा को इलाहाबाद भेजे जाने का कड़ा विरोध हो रहा है. बार एसोसिएशन ने कहा कि यह कोई ‘ट्रैश बिन’ (कूड़ेदान) नहीं है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि एक जज के घर में 15 करोड़ रूपए मिले हैं और उन्हें घर वापसी का इनाम मिल रहा है.  यदि किसी सामान्य कर्मचारी के घर से 15 लाख रुपये बरामद होते हैं, तो उसे जेल भेज दिया जाता है. एक न्यायाधीश के घर से 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद होती है और उसे 'घर वापसी' दी जा रही है. क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय कूड़ेदान है? उच्च न्यायालय बार भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत मजबूती से खड़ा है, हम उन्हें यहां स्वागत नहीं करने देंगे. यदि वे शामिल होते हैं, तो हम न्यायालय में अनिश्चित काल के लिए अनुपस्थित रहेंगे और वकील न्यायालय से दूर रहेंगे. हमारी मांग है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय नहीं भेजा जाना चाहिए. वहीं राज्यसभा में भी आज ये मामला उठाया गया है.

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