Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव के रुझानों में चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है. 2013, 2015 और 2020 में चुनाव जीतने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यानी आप पिछड़ती दिख रही है. बड़ा सवाल उठता है कि ऐसे क्या कारण रहे जिसकी वजह से आप एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद पिछड़ गई?
अरविंद केजरीवाल की छवि को धक्का
2012 में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल को लेकर अन्ना हजारे के आंदोलन से निकले साफ-सुथरी छवि वाले अरविंद केजरीवाल की छवि को इस चुनाव में धक्का लगा. शराब नीति घोटाला, आवास को लेकर शीशमहल प्रकरण और जेल जाने के बावजूद इस्तीफा नहीं देने पर अड़े रहने के कारण उनकी ईमानदार छवि को धक्का लगा.
सत्ता विरोधी लहर
10 साल तक सत्ता में रहने के बाद आप को तगड़ी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा. रेवड़ी बांटने की तमाम घोषणाओं के बावजूद लोगों का आप के लिए असंतोष बढ़ गया था. लोगों में आप को लेकर एंटी-इनकंबेंसी की भावना थी.
रेवड़ी संस्कृति
आप ने पिछले 10 सालों में फ्री बिजली, फ्री पानी समेत कई ऐसी घोषणाओं से अपने पक्ष में माहौल बनाया. बीजेपी ने इस बार इस बात को समझा और उसने भी इस तरह की खूब घोषणाएं कीं. उधर आप 10 साल से सत्ता में थी और सत्ता विरोधी भावनाएं थीं. इस बीच जब उन्होंने आप और बीजेपी के घोषणापत्रों को देखा तो उनको एक मजबूत विकल्प के रूप में भाजपा दिखी.
समझौते की राजनीति
आप भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन से उपजी थी और यही इसकी सियासी पूंजी थी लेकिन अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया जैसे टॉप नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद पार्टी की छवि को धक्का लगा. पार्टी पर ये भी आरोप लगा कि उसने लोगों से वादाखिलाफी की और जनलोकपाल जैसे भ्रष्टाचार विरोधी बिल को लागू नहीं किया. इससे विश्वसनीयता का संकट उत्पन्न हुआ. इससे ये भी भाव पनपा कि आप ने अपने मूल मुद्दों को हाशिए पर डाल दिया और केवल सत्ता की राजनीति करने लगी.
शीला दीक्षित मॉडल
दिल्ली को जिस तरह से शीला दीक्षित ने अपने दौर में चमकाया उसकी याद अभी भी लोगों के जेहन में है. कांग्रेस कहीं सीन में नहीं थी लेकिन शीला दीक्षित के विकास मॉडल की चर्चा पूरे चुनाव में होती रही. उसका कारण ये रहा कि एक दशक तक सत्ता में रहने के बावजूद आप के बारे में कहा गया कि पार्टी ने केवल रेवड़ी संस्कृति पर भरोसा किया और विकास के मामले में दिल्ली पिछड़ती गई.
कांग्रेस ने बिगाड़ा खेल
मुस्लिम बहुल इलाकों में भी आप को झटका लगा है और वहां से बीजेपी को बढ़त मिली है. सबसे बड़ी बात ये है कि आप का कांग्रेस से चुनावों में गठबंधन से इनकार करना हार की बड़ी वजह मानी जा रही है. कारण ये है कि कांग्रेस भले ही जीत न सके लेकिन हराने का माद्दा रखती है क्योंकि आप और कांग्रेस दोनों का वोट बैंक एक ही है. दूसरी बात ओवैसी की एआईएमआईएम की एंट्री ने भी मुस्लिम क्षेत्रों में आप का खेल बिगाड़ा.
आप में भितरघात
पार्टी ने सत्ता विरोधी लहर को थामने के लिए कई विधायकों का टिकट काट दिया. लिहाजा पार्टी में असंतोष हुआ और चुनाव से ऐन पहले टिकट कटने वाले सात मौजूदा विधायकों ने आप का साथ छोड़कर बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया.
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