UP By Polls India Alliance: लोकसभा में यूपी (UP) में बीजेपी (BJP) से 37 सीटें छीनकर उससे भी बड़ी जीत हासिल करने से गदगद सपा (Samajwadi Party) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) हर हाल में विधानसभा उपचुनाव की सभी सीटें जीतकर बीजेपी का सूपड़ा साफ करना चाहते हैं. ऐसा करके वो 2027 के विधानसभा चुनावों तक अपने तदाताओं को एकजुट रखने की जुगत भिड़ा रहे हैं. इसके साथ ही वो बीजेपी को यूपी की सत्ता से खदेड़ना की तैयारी कर रहे हैं. ये तमाम बातें अखिलेश यादव 4 जून को लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद कई बार दोहरा चुके हैं.
दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की 9 सीटों के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अखिलेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'बात सीट की नहीं जीत की है, इस रणनीति के तहत इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ेंगे'.
हमने ये ठाना है ‘संविधान, आरक्षण, सौहार्द’ बचाना है
‘बापू-बाबासाहेब-लोहिया’ के सपनों का देश बनाना है pic.twitter.com/Uzy2S2RTLn— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 24, 2024
यूपी विधानसभा उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर बड़ा फैसला लेकर अखिलेश यादव ने न सिर्फ बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश की है बल्कि अपने वोटबैंक (PAD) को संकेत दिया है कि लोकसभा चुनावों की तरह एकजुट रहें. बीजेपी की बात करें तो वहां भी सीएम योगी और उनके डिप्टी सीएम की कथित तकरार किसी से छिपी नहीं थी. भले ही 'आल इज वेल' कहकर विवाद पर पानी डाल दिया गया हो लेकिन अखिलेश के दांव से बीजेपी के माथे पर बल पड़ सकते हैं.
'2027 के सत्ताधीश' ने चला 'सिंबल' वाला दांव?
बीजेपी को केंद्र में पूर्ण बहुमत के बजाए गठबंधन की बैसाखियों पर पहुंचाने से उत्साहित अखिलेश यादव ने यूपी उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. उन्होंने कहा है कि उपचुनाव में सारे कैंडिडेट सपा के सिंबल पर लड़ेंगे. उनके इस फैसले की दूसरी वजह ये है वो नहीं चाहते कि इंडिया अलायंस के वोट बैंक में कोई बिखराव हो.
यानी सपा और कांग्रेस दोनों दलों का वोट बैंक आसानी से एक दूसरे में ट्रांसफर हो जाए और ये काम उसी 'जातीय' फार्मूले से हो जिसने समाजवादी पार्टी को पहली बार संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बना दिया था.
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एक गणित ये कहता है कि जितने वोट इंडिया अलायंस में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मई 2024 में यूपी में मिले थे अगर उतनी ही वोट शेयर उपचुनाव में मिल जाएगा तो बीजेपी अखिलेश यादव के इस चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंस जाएगी. यानी बीजेपी का खेल खराब हो जाएगा.
इस फैसले के बाद इंडिया गठबंधन (India Alliance) को लेकर सियासी गलियों में ये सवाल जरूर पूछा रहा है कि आखिर यूपी में कांग्रेस इतना कमजोर हो गई है कि उसे सपा एक भी सीट नहीं दे रही है. हालांकि अखिलेश बार-बार ये जरूर कह रहे हैं कि उनकी मंशा बस ये है कि वोट बैंक न बंटे.
अखिलेश का PDA दोबारा काम करेगा?
2024 में अखिलेश ने PDA का नारा दिया. पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक. अखिलेश अपनी रैलियों में अक्सर यह कहते दिखे कि पीडीए एकजुट होकर सपा को वोट देगा और बीजेपी को हराएगा. अखिलेश ने तब किसी सर्वे के हवाले से कहा था, '90% पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक एकजुट होकर I.N.D.I.A. इंडिया अलायंस वोट देंगे. बीजेपी के सारे समीकरण और फॉर्मूले फेल हो जाएंगे. PDA में भरोसा करने वालों का सर्वे- कुल मिलाकर 90% की बात. 49% पिछड़ों का विश्वास PDA में है. 16% दलितों का विश्वास PDA में है. 21% अल्पसंख्यकों (मुस्लिम+सिख+बौद्ध+ईसाई+जैन व अन्य+आदिवासी) का विश्वास PDA में है'.
वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनावों में जो झूठ बोला था, यूपी की जनता उसे समझ चुकी है. इसलिए काठ की हांडी बार-बार चूल्हे पर नहीं चढ़ेगी.
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