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पाकिस्तान मत बनाओ.. आंबेडकर ने क्यों ऐसा कहा था, उदाहरण देकर बताया था कारण

Hindu Muslim unity: बाबासाहेब का सवाल था कि हिंदुओं के साथ रहने पर मुसलमानों को अपनी पहचान के मिट जाने का डर क्यों है. बाबासाहेब ने कनाडा दक्षिण अफ्रीका और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के उदाहरण दिए.

पाकिस्तान मत बनाओ.. आंबेडकर ने क्यों ऐसा कहा था, उदाहरण देकर बताया था कारण
Gaurav Pandey|Updated: Apr 14, 2025, 02:21 PM IST
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Ambedkar on Partition: संविधान निर्माता और आजाद भारत में सामाजिक क्रांति के सबसे बड़े स्टार बाबसाहेब भीमराव आंबेडकर की 134वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है. आज उन्हें केवल संविधान निर्माता के तौर पर ही नहीं बल्कि एक दूरदर्शी विचारक के रूप में भी याद किया जा रहा है. भारत विभाजन को लेकर उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं. जब देश आजादी की ओर बढ़ रहा था तब विभाजन की मांग जोर पकड़ रही थी. लेकिन आंबेडकर ने इस मांग को तर्क और उदाहरणों के जरिए न केवल चुनौती दी बल्कि यह सवाल भी उठाया कि आखिर पाकिस्तान की जरूरत ही क्यों हो?

उनके विचार बेहद क्लियर रहे..
असल में आंबेडकर की चर्चित किताब पाकिस्तान या भारत का विभाजन में उनके विचार बेहद क्लियर रहे हैं. वे मानते थे कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों में भले ही कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक अंतर हों लेकिन बहुत-सी समानताएं भी हैं. उनका मानना था कि इन पर बल दिया जाए तो दो राष्ट्रों की बात ही खत्म हो जाती है. उन्होंने कहा था कि भारत में सांप्रदायिकता की समस्या का हल बंटवारे में नहीं बल्कि समझदारी और सहअस्तित्व में है.

उदाहरण देकर बताया था कारण..
इतना ही नहीं बाबासाहेब ने कनाडा दक्षिण अफ्रीका और स्विट्जरलैंड जैसे देशों के उदाहरण दिए जहां अलग-अलग भाषा धर्म और संस्कृति के लोग एक ही देश में साथ रहते हैं. उन्होंने पूछा कि जब कनाडा में अंग्रेज और फ्रेंच, दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेज और डच, और स्विट्जरलैंड में जर्मन, फ्रेंच और इटालियन समुदाय एक साथ रह सकते हैं तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने इसे सांप्रदायिक राजनीति का नतीजा बताया और लिखा कि अगर भारत के मुसलमान खुद को अलग राष्ट्र मानते भी हैं तो भी वे एक संविधान के अंतर्गत एक देश में रह सकते हैं.

पहचान के मिट जाने का डर क्यों
बाबासाहेब का सवाल था कि हिंदुओं के साथ रहने पर मुसलमानों को अपनी पहचान के मिट जाने का डर क्यों है. उन्होंने लिखा कि दो राष्ट्रों के सिद्धांत को मान भी लें तब भी विभाजन की आवश्यकता कहां है. आंबेडकर का मानना था कि विभाजन कोई समाधान नहीं है बल्कि यह समस्या को और जटिल बना देगा.

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