Maharashtra Local Body Elections 2025: महाराष्ट्र में होने वाले आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर भाजपा (BJP) ने तैयारियां शुरू कर दी. बीजेपी ने इस चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है. इसके पीछे कई वजहें सामने आई हैं. जैसे महायुति के सहयोगी दलों के बीच बढ़ती बेचैनी, जनता से मिल रही प्रतिक्रिया, और कुछ नेताओं के विवादों में घिरना. इसके साथ ही भाजपा की खुद की राजनीतिक स्थिति भी पहले से मजबूत हो रही है.
पार्टी के कुछ राज्य स्तर के नेताओं ने इस बारे में केंद्रीय नेतृत्व को अपनी राय दे दी है. सूत्रों के मुताबिक, इसके पीछे वजह यह है कि महायुति (भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी का गठबंधन) के अंदर कई तरह की असहमतियां देखने को मिल रही हैं. हालांकि, मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों में भाजपा अब भी महायुति के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की संभावना को खुला रखा है. इसका मतलब है कि मुंबई जैसे बड़े और अहम निकाय चुनावों में पार्टी सामूहिक ताकत के साथ उतर सकती है, लेकिन बाकी जगहों पर अकेले जाने की रणनीति पर काम हो रहा है.
इस हफ़्ते की शुरुआत में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अलग-अलग बैठकें कीं. एक सीनियर बीजेपी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'फडणवीस और चव्हाण ने शाह को बताया कि 29 नगर निगमों (नवगठित जालना और इच्छालकरंजी समेत) में महायुति के सहयोगियों के बीच गठबंधन की संभावना नहीं है. यह भी बताया गया कि तीनों दल शिवसेना (यूबीटी) से बीएमसी छीनने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं.'
पुणे, नागपुर, पिंपरी-चिंचवाड़, कल्याण-डोंबिवली, नासिक, सोलापुर और अमरावती जैसी जगहों पर भाजपा की इकाइयों से मिली प्रतिक्रिया यह है कि पार्टी को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए, क्योंकि हाल के दिनों में जिन सहयोगियों पर 'सार्वजनिक कदाचार' के आरोप लगे हैं, उनके साथ गठबंधन करने से पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है. एक सूत्र ने कहा, 'सहयोगी दलों के मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप भाजपा की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे, इसलिए हम चुनावों में इन सहयोगियों से दूरी बनाए रखने के इच्छुक हैं.'
जबकि हाल ही में शिवसेना मंत्री संजय शिरसाट और एनसीपी मंत्री माणिकराव कोकाटे विवादों के केंद्र में आ गए थे. शिरसाट का एक वीडियो में 'पैसों से भरा बैग' लिए देखे जाने पर विवाद खड़ा कर दिया, तो कोकाटे ने सरकार को 'भिखारी' कहकर विवाद खड़ा कर दिया. इसके अलावा, तीनों सत्तारूढ़ सहयोगियों के नेताओं के बीच भी असहज समीकरण हैं. ज्यादाल जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मंत्रियों के सहयोगियों की नियुक्ति के लिए कड़े मानदंड तय करने का फडणवीस का फैसला शिवसेना के मंत्रियों को रास नहीं आया है.
वहीं, पिछले साल के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने शानजार प्रदर्शन किया था, जिसमें उसने महायुति की 235 सीटों में से 132 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना:57 और राकांपा ने 41 सीटों पर जीत हासिल की थी. यही कारण है कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए गठबंधन बनाने में बीजेपी के स्थानीय नेताओं की राय मुख्तलिफ है. मिसाल के तौर पर भाजपा और शिवसेना के बीच कोंकण क्षेत्र में पहले से ही टकराव चल रहा है, जिसे शिवसेना का गढ़ माना जाता है. शनिवार को शिवसेना के मंत्री उदय सामंत और भाजपा के नितेश राणे के बीच जुबानी जंग छिड़ गई, जब नितेश राणे ने दावा किया कि सिंधुदुर्ग में उनकी पार्टी का ज़्यादा प्रभाव है और यह शिंदे पर निर्भर है कि वे इस क्षेत्र की 60-70 फीसदी सीटें बरकरार रखें या नहीं. सामंत के बयान पर राणे ने प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना को अकेले चुनाव लड़ने की चुनौती दी.
जबकि, शिंदे के गढ़ माने जाने वाले ठाणे में भी बेचैनी है, जहां दोनों पार्टियों के जिला-स्तरीय नेता एकजुट होने को तैयार नहीं हैं. भाजपा नेताओं का दावा है कि डिप्टी सीएम ने तालमेल बिठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और उन्होंने अपने राज्य नेतृत्व के समक्ष बार-बार यह मुद्दा उठाया है. फडणवीस के गृहनगर नागपुर में, भूमिकाएं उलटी नज़र आ रही हैं, जहां शिवसेना और राकांपा से ज़्यादा प्रभावशाली मानी जाने वाली भाजपा पर सहयोगियों को साथ न लाने का आरोप लगाया जा रहा है.
इसी तरह, पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़ और पश्चिमी महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में, जिन्हें एनसीपी का गढ़ माना जाता है. वहां अजित पवार की पार्टी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रही है. एनसीपी के एक अंदरूनी सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस बताया कि, 'हम यहां मज़बूत स्थिति में हैं और सहयोगियों को कोई जगह नहीं देना चाहेंगे. अजित पवार इस क्षेत्र में पार्टी की बढ़त बनाए रखने के लिए काम करेंगे. स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन स्थानीय समीकरणों से तय होते हैं.'
हालांकि, मुख्ययमंत्री फडवणवीस ने कहा है कि तीनों सत्तारूढ़ दल स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन बनाने की कोशिश करेंगे और जहां यह संभव नहीं होगा, वहां 'दोस्ताना मुकाबला' किया जाएगा. राज्य में लंबे वक्त से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने हैं, क्योंकि मई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चार महीने के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था.
2017 में 2,736 सीटों के लिए हुए पिछले स्थानीय निकाय चुनावों में, भाजपा ने 1,099 सीटें जीती थीं. जबकि शिवसेना (तब अविभाजित) ने 489 सीटें जीती थीं. कांग्रेस 439 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही और राकांपा ने 294 सीटें जीतीं. 227 सीटों वाले बीएमसी चुनावों में अविभाजित शिवसेना 84 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और भाजपा 82 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. कांग्रेस, राकांपा और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने क्रमशः 31, नौ और सात सीटें जीतीं.
FAQs
सवाल: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव कब होने वाले हैं?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, महाराष्ट्र में लंबे वक्त से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में कराए जाएंगे.
सवाल: पिछले यानी 2017 के स्थानीय निकाय चुनावों में किस पार्टी को कितनी सीटें मिली थीं?
जवाब: 2017 के स्थानीय निकाय चुनावों में कुल 2,736 सीटों में से बीजेपी को सबसे ज्यादा 1,099 सीटें मिली थीं. वहीं, (अविभाजित) शिवसेना ने 489 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस को 439 सीटें, और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को 294 सीटें मिली थीं.
सवाल: मुंबई महानगरपालिका (BMC) में कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिली थीं?
जवाब: मुंबई महानगरपालिका (BMC) की 227 सीटों में से शिवसेना ने 84 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं, भाजपा ने 82 सीटें, कांग्रेस ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके अलावा राकांपा ने 9, और मनसे ने 7 सीटें जीती थीं.
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