China on Indian Navy: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की ताकत का लोहा पूरी दुनिया ने माना. पाकिस्तान को तो समझ में आया ही, उसे हथियार मुहैया कराने वाले मददगार चीन को भी भारतीय सेना की ताकत और हथियारों के दमखम का आभास हो गया है. इस बीच, अब कुछ ऐसा हुआ है जब चीन ने खुद आधिकारिक तौर पर भारतीय नौसेना को शुक्रिया कहा है. हां, उसके 14 नागरिकों की जान खतरे में थी. भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्ट गार्ड ने फौरन पेशेवर तरीके से अभियान चलाया. आगे जो हुआ उसने विस्तारवादी मानसिकता वाले चीनियों को भी थैंक्यू कहने पर मजबूर कर दिया.
बॉर्डर पर बार-बार हरकत करने वाले चीन ने खुलकर भारतीय नौसेना के प्रति आभार व्यक्त किया है. दरअसल, 270 मीटर लंबा सिंगापुर का एक जहाज कोलंबो से आ रहा था. 9 जून को रास्ते में अचानक धमाका हो गया. उस समय यह MV वान हाई 503 केरल तट से 44 नॉटिकल मील की दूरी पर था. भारतीय कोस्ट गार्ड की टीम फौरन एक्शन में आई. हवाई जहाज उड़े और शिप भी रवाना किए गए.
आसमान से एयरक्राफ्ट ने हालात का जायजा लिया और बचाव अभियान शुरू हो गया. कोस्ट गार्ड के चार शिप लोगों को बचाने पहुंच गए. यहां भारतीय सेना ने इंसानियत को आगे रखा. आखिरकार जहाज पर मौजूद 22 क्रू मेंबर को बचा लिया गया. इसमें से 14 चीनी नागरिक थे. इसी से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार गदगद है.
भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'हम भारतीय नौसेना @indiannavy और तटरक्षक बल के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने तुरंत और पेशेवर तरीके से बचाव अभियान चलाया. हम आगे सर्च ऑपरेशन के सफल होने और घायल चालक दल के सदस्यों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.'
On June 9, MV Wan Hai 503 encountered onboard explosion and fire 44 nautical miles off Azhikkal, Kerala. Of the total 22 crew members on board, 14 are Chinese, including 6 from Taiwan. Our gratitude goes to the Indian Navy @indiannavy and the Mumbai Coast Guard for their prompt… https://t.co/3V8vr1xVW9
— Yu Jing (@ChinaSpox_India) June 10, 2025
तटरक्षक बल के बारे में जानिए
आजादी के एक दशक बाद ही भारतीय नौसेना को लगने लगा था कि समुद्री सुरक्षा में कानून प्रवर्तन सेवाओं के लिए एक सहायक की जरूरत है. इसके लिए नौसेना के महत्वपूर्ण और हाईटेक युद्धपोतों को लगाना सही विकल्प नहीं था. जल्द ही नौसेना की मांग को स्वीकार किया गया और 1977 में 'तट रक्षक' सेवा की स्थापना की गई. इसके उद्देश्य में समुद्र के रास्ते होने वाली तस्करी को भी रोकना शामिल था जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बन सकती थी.
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