राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन के भीतर कथित तौर पर सीआईएसएफ जवानों को बुलाने का मुद्दा जोर शोर से उठाया. खरगे ने कहा कि आखिरी बार जब जेटली जी उच्च सदन में विपक्ष के नेता थे और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं. उन्होंने क्या कहा था? उन्होंने कहा था कि डिस्टर्ब करना (विरोध करना) भी एक तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करता है और ये कोई बड़ी बात नहीं. लोकतांत्रिक तरीके से ही हम प्रोटेस्ट कर रहे हैं और हम करते रहेंगे. ये हमारा अधिकार है. ऐसा उन्होंने कहा था तो मैंने लेटर लिखा फिर आप इतनी आपत्ति क्यों कर रहे हैं? खरगे ने सीधे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को संबोधित करते यह बात कही. इस पर हरिवंश गरजते हुए बोले कि ये सारी बातें सदन के बाहर कही गई थीं. बाद में किरेन रिजिजू ने भी खरगे पर पलटवार किया.
सदन में खरगे ने उपसभापति हरिवंश को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने आपको लिखा था- 'मैं राज्यसभा में विपक्षी दलों की ओर से आपको लिख रहा हूं. हम इस बात से हैरान और स्तब्ध हैं कि किस तरह CISF को सदन के वेल में आने के लिए मजबूर किया गया, जबकि सदस्य विरोध के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर रहे थे. हमने इसे कल भी देखा और आज भी देखा. हमारी संसद को इस स्तर तक गिरा दिया गया है. यह बेहद आपत्तिजनक है और हम इसकी स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में CISF के जवान सदन के वेल में तब नहीं आएंगे जब सदस्य सार्वजनिक चिंता के महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे हों'. खरगे ने अपने सवाल का वीडियो शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि क्या हम राज्य सभा के सदस्य terrorist हैं?
आखिर सदन में CISF को क्यों बुलाया गया?
क्या हम राज्य सभा के सदस्य terrorist हैं? pic.twitter.com/kOpuEw8dDR
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 5, 2025
इस पर विपक्ष के सदस्यों ने मेज थपथपाकर विरोध जताया और सत्तापक्ष के सदस्य शोर मचाने लगे. कई बार उपसभापति को बीच में बोलना पड़ा. बाद में राज्यसभा में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता खरगे को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि मैं स्पष्टीकरण के लिए एक बात पूछना चाहूंगा. विपक्ष के नेता बहुत वरिष्ठ नेता हैं. मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाया था. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि सदन में CISF के जवान लाए गए और दिल्ली पुलिस को लाया गया.
रिजिजू ने कहा कि यह रिकॉर्ड में स्पष्ट है कि केवल मार्शल ही सदन में प्रवेश कर सकते हैं. उस दिन केवल मार्शल ही यहां थे इसलिए विपक्ष के नेता ने गुमराह किया और यहां गलत तथ्य पेश किए. उन्होंने आपको भी पत्र लिखा है. जब विपक्ष के नेता सभापति को गलत पत्र लिखते हैं और गलत तथ्य पेश करते हैं, तो उसके लिए क्या कार्रवाई होनी चाहिए?
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