अहमदाबाद में उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद एयर इंडिया AI 171 की बोइंग ड्रीमलाइनरके भयावह दुर्घटना ने भारत समेत पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था. इस दुर्घटना में विमान में सवार 241 लोगों सहित कम से कम 270 लोगों मौत हो गई थी. अब त्रासदी के एक महीने बाद 15 पृष्ठों की एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, विमान ने 180 नॉट IAS या इंडिकेटेड एयरस्पीड की अधिकतम हवाई गति तब प्राप्त की जब दोनों इंजनों के ईंधन कटऑफ स्विच 'रन' से 'कटऑफ' स्थिति में बदल गए. अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक सेकंड के अंतराल में हुआ.
दोनों फ्यूल स्विच के 'कटऑफ' स्थिति में जाने से दोनों इंजन बंद हो गए. रिपोर्ट में कॉकपिट में दोनों पायलटों के बीच हुई एक संक्षिप्त बातचीत का भी खुलासा किया गया है. इस दौरान एक पायलट ने पूछा, 'आपने कटऑफ क्यों किया?' इसपर जवाब देते हुए दूसरे पायलट ने कहा, 'मैंने ऐसा नहीं किया.' जबकि दोनों इंजनों में ऊंचाई हासिल करने लायक थ्रस्ट नहीं था. इसके बाद पायलटों ने तुरंत फ्यूल कंट्रोल को 'रन' पर कर दिया. पता चला कि इंजन 1 तो वापस चालू हो गया, लेकिन इंजन 2 स्थिर नहीं हुआ.
आधुनिक समय में सफर के सबसे सुरक्षित साधनों में से एक माने जाने वाले और रोज़ाना लाखों मुसाफिरों को ले जाने वाले ड्रीमलाइनर विमान के उड़ान भरने के बाद एक मिनट से भी कम वक्त दुर्घटना की खबर ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया. वहीं, एविएशन एक्सपर्टस और पायलटों का दावा है कि फ्यूल स्विच आकस्मिक गति को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. प्रत्येक स्विच के दोनों ओर धातु के गार्ड लगे होते हैं और उनमें एक स्प्रिंग-लोडेड मैकेनिज्म होता है, जिसे 'रन' या 'कटऑफ़' स्थिति में ले जाने से पहले जानबूझकर ऊपर की ओर खींचने की जरूरत पड़ती है
जबकि, 14 जुलाई को एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि AI171 के निष्कर्षों से किसी भी मैकेनिकल या रखरखाव संबंधी समस्या का संकेत नहीं मिलता है और इंजन उड़ान भरने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. उन्होंने यह भी कहा कि फ्यूल में किसी भी तरह के Contamination की संभावना से इनकार किया गया है. विल्सन ने कहा, 'मैं यह भी याद दिलाना चाहूंगा कि अत्यधिक सावधानी बरतते हुए और डीजीसीए की निगरानी में, हमारे बेड़े में शामिल हर बोइंग 787 विमान की दुर्घटना के कुछ ही दिनों के भीतर जांच की गई थी और सभी सर्विस के लिए उपयुक्त पाए गए थे. हम सभी जरूरी जांचें जारी रख रहे हैं, और अधिकारियों द्वारा सुझाई गई किसी भी नई जांच को भी हम जारी रखेंगे.'
जबकि, पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और आरोप लगाया कि जांच इस दिशा में की जा रही है कि पायलटों की गलती थी. एसोसिएशन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'हमारा मानना है कि जांच पायलटों के अपराध को मानकर की जा रही है और हम इस विचारधारा पर कड़ी आपत्ति जताते हैं.' एसोसिएशन के बयान में आगे कहा गया है, 'हम इस तथ्य पर ज़ोर देना चाहेंगे कि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 10 जुलाई को एक लेख प्रकाशित किया था, जिसमें फ्यूल कंट्रोल स्विचों के अनजाने में हिलने का ज़िक्र था. यह जानकारी उन तक कैसे पहुंची? फ्यूल कंट्रोल स्विच गेटों की Serviceability पर एक बुलेटिन का ज़िक्र है, जो दर्शाता है कि इसमें कोई संभावित खराबी हो सकती है.'
हालांकि,अंतिम जांच रिपोर्ट विमान दुर्घटना के एक साल के भीतर जारी होने की उम्मीद है. ये निष्कर्ष 12 जून के उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की घटनाओं की सीरीज को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होंगे, जिसके कारण यह भयावह दुर्घटना हुई. लेकिन, अंतरिम रिपोर्ट के जारी होने से मृत पायलटों के खिलाफ गंभीर आरोप लगने लगे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कॉकपिट में कैमरे लगाने से स्थिति की स्पष्टता बढ़ सकती है और फ्यूचर में होने वाली घटनाओं में ऐसी अटकलों को रोका जा सकता है?
अगर ये कैमरे कारों, पब्लिक ट्रान्सपोर्ट और हेलीकॉप्टरों में नियमित रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं, तो क्या इन्हें 35,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ने वाली सभी कमर्शियल उड़ानों में लगाना उचित नहीं होगा? जबकि ये कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) के साथ डेटा रिकॉर्ड और सुरक्षित रूप से स्टोर्ड कर सकते हैं. अगर इससे इस तरह की जांचों में अस्पष्टता को दूर करने में मदद मिल सकती है, तो फिर क्यों नहीं.
कमर्शियल पायलट और लोकप्रिय यूट्यूब चैनल 'मेंटूर पायलट' के होस्ट पीटर हॉर्नफेल्ड ने हाल ही में इस विषय पर बात की और माना कि फ्लाइट डेक में कैमरा लगाना फायदेमंद होगा. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि पायलट और एसोसिएशन निगरानी के विचार के खिलाफ हैं. उन्होंने बताया कि यह इंस्टॉलेशन एयरलाइन कंपनियों के लिए एक महंगा और एक्सटेंसिव वर्क है और रेट्रोफिटिंग से उड़ानों का वक्त भी रुक सकता है.
वहीं, पायलट ने अपने वीडियो में दावा किया कि कैमरे की मौजूदगी निजता संबंधी चिंताओं को जन्म दे सकती है और कॉकपिट में पायलटों के रवैया और बातचीत के तरीके को बदल सकती है. इससे उसे परेशान हो सकते हैं, उनके हाव भाव बदल सकते हैं. वे संकोची हो सकते हैं और वीडियो में उन्हें कैसे देखा जा रहा है, इस बात का लगातार दबाव महसूस कर सकते हैं. पीटर ने आगे कहा कि अगर वीडियो डेटा एन्क्रिप्ट नहीं किया गया, तो एयरलाइंस पायलटों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती हैं. पायलट ने पहले भी ऐसे मिसाल दिए हैं, जब एसोसिएशन ने निगरानी के विचार का विरोध किया था.
F&Q
सवाल:- क्या अहमदाबा में हुए एयर इंडिया की दुर्घटना पायलट की गलती थी या तकनीकी खामी?
जवाब:- प्रारंभिक रिपोर्ट में किसी तकनीकी या मैकेनिकल खराबी का संकेत नहीं दिया गया है. जबकि एयर इंडिया के CEO ने भी कहा कि इंजनों और ईंधन में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई.
सवाल:- अगर प्लेन में रिकॉर्डर और वॉयस रिकॉर्डर पहले से हैं, तो फिर कॉकपिट में कैमरा लगाने की ज़रूरत क्यों नहीं?
जवाब: फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) सिर्फ तादाद-आधारित डेटा और ऑडियो प्रदान करते हैं. जबकि कॉकपिट में कैमरा नहीं लगाया जा सकता. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कॉकपिट में पायलटों के रवैया और बातचीत के तरीके को बदल सकती है.
सवाल:- अहमदाबाद विमान हादसे में कितने लोगों की मौत हुई थी?
जवाब:- इस भयावह दुर्घटना में विमान में सवार 241 लोगों समेत कम से कम 270 लोगों मौत हो गई थी.
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