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भाजपा का नया अध्यक्ष ढूंढना इतना मुश्किल क्यों? एक स्टेप अब भी बाकी

BJP New President: भाजपा को इसी महीने नया अध्यक्ष मिल सकता है, जो जेपी नड्डा की जगह लेगा. हालांकि पार्टी के लिए यह कदम बहुत मुश्किल होने वाला है, क्योंकि अध्यक्ष का चुनाव करते समय भाजपा को कई चीजों पर ध्यान देना जरूरी हो रहा है. 

भाजपा का नया अध्यक्ष ढूंढना इतना मुश्किल क्यों? एक स्टेप अब भी बाकी
Tahir Kamran|Updated: Apr 02, 2025, 07:10 AM IST
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पिछले कई महीनों से भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं तेज चल रही हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी महीने भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा. सूत्र दावा कर रहे हैं कि 4 अप्रैल को संसद सत्र खत्म होने के बाद भारतीय जनता पार्टी इस तरह ध्यान देगी और अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है.

जेपी नड्डा के घर हुई मीटिंग

सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि पार्टी के अंदर नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं. मंगलवार देर रात मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर कई दिग्गज नेताओं की मुलाकात भी हुई है. इनमें गृह मंत्री अमित शाह के अलावा पीयूष गोयल भी शामिल हुए हैं.

क्या कहता है भाजपा का संविधान?

इसके अलावा भाजापा अगले एक हफ्ते में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल समेत कई अन्य राज्यों के नए प्रदेश अध्यक्षों का ऐलान भी कर देगी. अब तक 13 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हैं और वहां के प्रदेश अध्यक्षों ऐलान किया जा चुका है. बाकी 19 राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के नाम तय होने के बाद पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी. बीजेपी के संविधान के मताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने जरूरी हैं. इसी नियम का पालन करते हुए पार्टी पहले राज्य इकाइयों में नेतृत्व तय कर रही है. अब जब चुनाव खत्म हो चुके हैं, भाजपा जल्द ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान करेगी, जो अगले कुछ वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व करेंगे.

सरकार में शामिल हो गए जेपी नड्डा

नए अध्यक्ष मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की जगह लेंगे जो 2019 से इस पद पर हैं. बीजेपी अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है, लेकिन नड्डा को एक के बाद एक विस्तार मिलता रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में निरंतरता बनाए रखने के लिए उनका कार्यकाल हाल ही में फिर बढ़ाया गया था. जनवरी 2020 में उन्हें सर्वसम्मति से भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जगह ली थी. लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था. अब जब वे सरकार में शामिल हो गए हैं तो पार्टी उनके उत्तराधिकारी की तलाश कर रही है. 

भाजपा के सामने क्या हैं मुश्किलें?

हालांकि पार्टी के लिए यह बिल्कुल भी आसान नहीं है. नए अध्यक्ष का चुनाव करना आसान नहीं है. बीजेपी को सही जातीय संतुलन बैठाना होगा और उत्तर-दक्षिण के भाषा विवाद और परिसीमन जैसे मुद्दों को भी संभालना होगा. पार्टी पहले ही उत्तर प्रदेश में अपने जनाधार को मजबूत करने के दबाव में है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान की वजह से उसे अकेले बहुमत नहीं मिला. इसी वजह से यह भी दावा किया जा रहा है कि नया अध्यक्ष उत्तर प्रदेश से हो सकता है. इस नए अध्यक्ष को सभी स्तरों पर स्वीकार्य होना चाहिए, जिसमें बीजेपी की विचारधारा के मार्गदर्शक संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी शामिल है. साथ ही उसे संगठनात्मक मूल्यों में निपुण होना जरूरी होगा.

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