Hyderabad Telangana Forest SC News: देश के कई राज्यों में हाल के महीनों में बुलडोजर एक्शन चर्चा में रहा है. अब हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास कंचा गचीबाउली में 100 एकड़ क्षेत्र में जंगल नष्ट किए जाने से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है. चीफ जस्टिस ने कहा कि विकास के नाम पर रातोंरात किसी जंगल को बुलडोजर कार्रवाई से जमींदोज करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (23 जुलाई) को तेलंगाना सरकार को जमकर सुनाया. Kancha Gachibowli में हजारों पेड़ों को काटा गया है. कोर्ट ने यह भी साफ कहा कि विकास जरूरी है लेकिन यह जंगलों को इस तरह अचानक और लापरवाही से काटकर हासिल नहीं किया जा सकता. भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस जे. बागची की एक विशेष पीठ ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि मैं हमेशा सतत विकास का हिमायती रहा हूं पर इसका मतलब यह नहीं है कि आप रातोंरात 30 बुलडोजर लगाएंगे और जंगल को नष्ट कर देंगे. इस केस में एमिकस क्यूरी (न्यायालय मित्र) के तौर पर पेश हो रहे सीनियर वकील के. परमेश्वर ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे पर कुछ पक्षकार भी जवाब दाखिल करना चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने मामला 13 अगस्त को सुनवाई के लिए लगाने की बात कही.
तेलंगाना में जंगल कटाई का मामला क्या है?
कंचा गचीबाउली इलाके में 400 एकड़ क्षेत्र में फैले जंगल से जुड़ा मामला है. राज्य सरकार विकास प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल करना चाहती है जबकि यूनिवर्सिटी के छात्र और पर्यावरण प्रेमी इसका विरोध करते रहे हैं. इससे पहले लगभग 100 एकड़ जंगल पर बुलडोजर चल चुका है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए राज्य सरकार को जंगल को वापस पुरानी हालत में लाने का एक्शन प्लान बताने को कहा था.
तब कोर्ट ने कहा था कि अगर राज्य के अधिकारियों ने किसी विकास प्रोजेक्ट या दूसरी बातों का हवाला देकर पेड़ों को लगाने का विरोध किया तो उन्हें उसी जगह पर अस्थायी जेल बना कर बंद कर दिया जाएगा.
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