West Bengal: पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती कैंसिल करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. अब सरकारी स्कूल शिक्षकों ने सोमवार को बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बताया कि वे शीर्ष अदालत के निर्देशा के मुताबिक नए चयन परीक्षा में शामिल नहीं होंगे. जबकि अदालत ने आदेश दिया था कि सेलेक्शन प्रोसेस 31 मई तक शुरू होनी चाहिए.
बैठक में छह अन्य शिक्षकों के साथ शामिल हुए वृंदावन घोष ने मीडिया को बताया, 'हमने शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और अन्य अधिकारियों से कहा कि हम दोबारा चयन परीक्षा में नहीं बैठेंगे. हममें से कई लोग बीमार हैं. कुछ कैंसर के मरीज भी हैं. वे परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते. प्रमुख सचिव ने कहा कि वे मदद नहीं कर सकते क्योंकि कोई भी सुप्रीम कोर्ट से ऊपर नहीं है.'
एजुकेशन डिपार्टमेंट दफ्तर के बाहर 15 मई को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद सरकार और आंदोलनकारी शिक्षकों के बीच यह पहली बैठक थी. घोष ने कहा, 'हममें से कोई भी दागी नहीं है. हमने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से मिलने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. नौकरशाहों के पास हमारे कई सवालों के जवाब नहीं थे. हमने उनसे अनुरोध किया कि वे कोई ऐसा तरीका खोजें जिससे भर्ती परीक्षा को दरकिनार करके हो सके.'
जब 25,752 स्कूली टीचर्स और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियां हुईं रद्द
वहीं, एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी विनोद कुमार ने सोमवार को आंदोलनकारियों द्वारा उठाई गई मांग पर कोई टिप्पणी नहीं की. रिश्वत के बदले नौकरी मामले में लंबी सुनवाई के बाद 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने 2016 के पैनल से सभी 25,752 स्कूली टीचर्स और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. इनमें से कई लोग मई की शुरुआत से ही आंदोलन कर रहे हैं. वहीं, एक अन्य अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि, 'सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली मांग पर कैसे टिप्पणी कर सकती है. राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की है. आंदोलनकारियों को इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है.'
'दागी और गैर दागी को अलग करने का कोई तरीका नहीं'
इन अपॉइंटमेंट्स को सबसे पहले 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने कैंसिल कर दिया था, जिसके बाद राज्य ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 3 अप्रैल को भारत के चीफ जस्टिस की बेंच ने 2016 बैच के सभी स्कूली टीचर्स और ग्रुप-सी और डी कर्मचारियों की नियुक्तियों को यह कहते हुए कैंसिल कर दिया था कि दागी और गैर दागी को अलग करने का कोई तरीका नहीं है.
गैर-दागी शिक्षकों को 31 दिसंबर तक सेवा में बने रहने की इजाजत
राज्य की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर से गैर-दागी शिक्षकों को 31 दिसंबर तक सेवा में बने रहने की इजाजत दे दी. अदालत ने राज्य को 31 मई तक उनके लिए नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और इसे तीन महीने में पूरा करने का भी निर्देश दिया.
5-15 लाख रुपये की रिश्वत
यह घोटाला मई 2022 में सुर्खियों में तब आया जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग ( West Bengal School Service Commission ) और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 2014 से 2021 के बीच गैर-टीचिंग स्टाफ (ग्रुप सी और डी) और टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति की जांच करने का आदेश दिया. इस वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे. कई नियुक्तियों ने सेलेक्शन टेस्ट में असफल होने के बाद नौकरी पाने के लिए 5-15 लाख रुपये की रिश्वत दी.
ED ने चटर्जी को अरेस्ट किया
वहीं, जांच शुरू करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जुलाई 2022 में चटर्जी को अरेस्ट किया. ईडी ने इस साल जनवरी में उनके, पूर्व प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष और विधायक माणिक भट्टाचार्य और 52 अन्य के खिलाफ आरोप दायर किए.
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