70 की उम्र में जहां ज्यादातर लोग घुटनों के दर्द से परेशान होकर चलने के लिए सहारा ढूंढते हैं, वहीं रोशनी देवी ने इस तकलीफ को अपनी ताकत बना लिया. दोनों घुटनों में आर्थराइटिस (गठिया) होने के बाद जब चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया था, तब उन्होंने एक ऐसा रास्ता चुना जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी- जिम.
68 की उम्र में उन्होंने पहली बार अपने बेटे के कहने पर जिम का दरवाजा खटखटाया. शुरुआत में न तो ताकत थी, न आत्मविश्वास. लेकिन आज, दो साल बाद, वह रोजाना 60 किलो डेडलिफ्ट, 40 किलो स्क्वाट और 100 किलो लेग प्रेस करती हैं. उनकी कहानी उम्र को मात देने की नहीं, बल्कि जिंदगी को दोबारा जीने की मिसाल है.
शुरुआत संघर्ष से हुई, ताकत तो बाद में आई
लोगों में धारणा है कि बुजुर्गों के लिए जिम खतरनाक होता है, खासकर अगर उन्हें आर्थराइटिस हो. लेकिन रोशनी देवी की जिम जर्नी वजन उठाने से नहीं, बल्कि बैठने-उठने की सही तकनीक सीखने से शुरू हुई. पहले दिन ट्रेडमिल पर चलना भी कठिन था. पर धीरे-धीरे उनकी चाल सुधरी, जोड़ों की अकड़न कम हुई और आत्मविश्वास बढ़ा.
70 की उम्र में भारी वजन उठाना कैसे फायदेमंद साबित हुआ?
डॉक्टरों के मुताबिक, मसल्स और हड्डियों की ताकत बढ़ाने के लिए वजन उठाना बेहद असरदार है, भले ही उम्र कितनी भी हो. घुटनों के आसपास की मसल्स मजबूत हों, तो जोड़ पर दबाव कम पड़ता है. यही कारण है कि रोशनी देवी के लिए भारी वजन उठाना दर्द बढ़ाने के बजाय राहत देने वाला साबित हुआ.
रोज की आदत ने बदली जिंदगी
इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह भारी वजन नहीं, बल्कि नियमितता रही. चाहे मौसम जैसा भी हो, रोशनी देवी कभी जिम जाना नहीं छोड़तीं. यही अनुशासन उनकी ताकत बना और शरीर ने दर्द को झेलने के बजाय दूर करना सीख लिया. अब लोग उन्हें ‘वेटलिफ्टर मम्मी’ कहकर पुकारते हैं. लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि अब वो दर्द के बिना चल सकती हैं, पोतों के साथ खेल सकती हैं और पहले से कहीं ज्यादा युवा महसूस करती हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.