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डाइटिंग, फास्टिंग और एक्सरसाइज, मेटाबॉलिज्म में इन चेंजेज से बॉडी और माइंड पर कैसा होता है असर?

जब भी आप शरीर के लिए कुछ अच्छा सोचते हैं, या बदलाव लाने की कोशिश करते हैं, तो ये काम इतना आसान नहीं होता. बॉडी को एडजस्ट होने में टाइम लगता है. 

डाइटिंग, फास्टिंग और एक्सरसाइज, मेटाबॉलिज्म में इन चेंजेज से बॉडी और माइंड पर कैसा होता है असर?
Shariqul Hoda|Updated: Apr 11, 2025, 12:26 PM IST
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Effects of Metabolic Interventions: जब भी आप मेटाबॉलिज्म में कोई बड़ा बदलाव करते हैं, जैसा कि डाइट चेंजे, फास्टिंग, एक्सरसाइज, या कोई सप्लीमेंट लेना, तो बॉडी एक प्रॉसेस से गुजरता है. इस प्रक्रिया 4 स्टेजेज में डिवाइड किया जा सकती है. भारत के मशहूर न्यूट्रिशनिस्ट निखिल वत्स (Nikhil Vats) ने बताया के मेटाबॉलिज्म में चेंज आने से 

1. शुरुआत (Initiation): पहला बदलाव

जब भी कोई मेटाबॉलिक इंटरवेंशन शुरू किया जाता है, शरीर एकदम से रिएक्ट करता है.

अच्छा असर: अगर बदलाव शरीर के लिए फायदेमंद है, तो तुरंत पॉजिटिव चेंजेज दिख सकते हैं. जैसी- एनर्जी बढ़ना, मेंटल क्लैरिटी आना.

बुरा असर: कभी-कभी पहले कुछ दिन हालात खराब हो सकते हैं. जैसे कि कीटो डाइट शुरू करने के लिए "कीटो फ्लू" पर आना या फास्टिंग में कमजोरी महसूस होना.

उदाहरण: अगर आप शुगर बंद कर देते हैं, तो पहले कमजोरी या क्रेविंग हो सकती है, लेकिन कुछ दिन में शरीर फैट बर्न करने लगेगा.

 

2. अनुकूलन (Adaptation): बॉडी का नया एडजस्टमेंट
जब मेटाबॉलिज्म में कोई भी बदलाव आता है, तो बॉडी उस चेंजेज के खिलाफ एडजस्ट करने लगती है. शुरुआत में जितना मजबूत असर नहीं रहता, लेकिन इंटरवेंशन का फायदा मिलता रहता है.

उदाहरण: अगर आप फास्टिंग शुरू करते हैं, तो पहले दिन भूख लगती है (इनिशिएशन), लेकिन 10-15 दिनों के बाद भूख कंट्रोल हो जाती है और शरीर में फैट बर्निंग मोड में चली जाती है.
 (एडेप्टेशन).

3. मेंटनेंस (Maintenance): न्यू नॉर्मल
जब शरीर पूरी तरह से नए मेटाबॉलिज्म के हिसाब से एडजस्ट हो जाता है, तब ये न्यू नॉर्मल बन जाता है. आपको नई डाइट, एक्सरसाइज, सप्लीमेंट से कोई दिक्कत नहीं होती. तब एनर्जी, मूड और हेल्थ स्टेबल हो जाता है.

उदाहरण: अगर आप लो-कार्ब डाइट पर चले गए हैं, तो शुरू में मुश्किल होता है, लेकिन 6 महीने बाद ये आपके लिए आसान हो जाता है, और आप बिना किसी परेशानी के अच्छा महसूस करने लगते हैं.

 

4. विड्रॉल (Withdrawal) अचानक बदलाव के कारण असर
अगर आप मेटाबॉलिक इंटरवेंशन को जल्दी बंद कर देते हैं, तो शरीर ओवररिएक्ट करता है, जिसे विदड्रॉल इफेक्ट दिख सकते हैं. अगर धीरे-धीरे बदलाव करें, तो विड्रॉल माइल्ड होगा. अगर अचानक बंद करें, तो मेटाबोलिज्म हाई या लो हो सकता है, जिसके लक्षण आ सकते हैं.

उदाहरण: अगर आप कीटो डाइट एकदम से छोड़ दें, तो बॉडी को कार्ब्स प्रोसेस करने में दिक्कत होती है, इंसुलिन स्पाइक होता है, और वजन वापस बढ़ सकता है. इसी तरह, कॉफी या निकोटीन छोड़ने पर भी वापसी के लक्षण आते हैं.

इन बातों को समझें
-हर मेटाबॉलिक इंटरवेंशन एक प्रॉसेस है जो 4 स्टेजेज में होते है.
-स्टेज में रिएक्शन हो सकता है, लेकिन बॉडी एडाप्ट कर लेती है.
-जब शरीर एडजस्ट हो जाता है, तो असर कम हो जाता है.
-अगर इंटरेंशन को अचानक छोड़ दिया जाए, तो विड्रॉल के लक्षण नजर आ सकते हैं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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